देवघर: त्रिकूट रोपवे हादसे में त्रिकुट के समीप बसडीहा गांव के पन्नालाल पंजीयारा और उसके साथियों ने अपने साहस और सूझबूझ से 11 लोगों की जान बचायी।
सेना के ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही त्रिकुट के समीप बसडीहा गांव निवासी पन्नालाल पंजीयारा और उसके साथियों ने ट्रॉली में फंसे 11 लोगों को मौत के मुहं से निकाल लिया था, वह भी मात्र रस्सी और कुर्सी के सहारे।
बताया गया कि पन्ना लाल और उनके कुछ सहयोगियों ने सेना के हेलीकॉप्टर आने से पहले ही रस्सी और कुर्सी के सहारे त्रिकूट रोपवे दुर्घटना में फंसे लोगों को निकालने का अभियान शुरू कर दिया था।
बताया गया कि मैन्यूअल रेस्क्यू ऑपरेशन सबसे पहले पन्नालाल ने ही शुरू किया। पन्नालाल ने अपनी टीम के साथ मेंटेनेंस रोपवे के जरिये फंसी ट्रॉलियों तक पहुंचने की कोशिश की और 11 पर्यटकों को कुर्सी और रस्सी के सहारे नीचे उतारा।
पन्नालाल के साथ बंसडीहा के रहने वाले उपेंद्र विश्वकर्मा, उमेश सिंह, नरेश गुप्ता और अन्य लोग नीचे में रस्सी पकड़ कर रखे थे।
गैंगटोक, अरुणाचल प्रदेश में रोपवे रेस्क्यू अभियान में भी सहयोग कर चुका है पन्ना लाल
बताया गया कि पन्नालाल रोपवे का काम करने वाला कुशल श्रमिक है। इससे पहले पन्नालाल गैंगटोक, अरुणाचल प्रदेश के इलाके में रोपवे रेस्क्यू का काम कर चुका है।
पन्नालाल को त्रिकूट पर्वत के रास्ते की भी जानकारी थी। उसके साहस औऱ पराकर्म को देख कर सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ की टीम ने भी उसकी कोशिशों को सहयोग दिया।
बाद में एमआइ हेलीकॉप्टर और चीता हेलीकॉप्टर के जरिये 20 से अधिक लोगों को पहले दिन यानी 11 अप्रैल को निकाला।
जवान भी पन्नालाल की हिम्मत और उसके द्वारा इस्तेमाल किये गये रास्ते से केबुल कार के नजदीकी टावर पर चढ़े।
सच्चे दृश्य को देख कर सभी पन्नालाल के साहस और जज्बे की तारीफ कर रहे हैं। वहीं उन्हें जानने वाले लोग देवदूत की भी संज्ञा दे रहे हैं।
पन्नालाल के प्रयासों की तारीफ सेना सहित त्रिकूट में मौजूद जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने भी पन्नालाल की इस प्रयास की तारीफ की है। साथ ही उन्हें समाज का जीवन रक्षक करार दिया है।