झारखंड : ट्रांजिट शुल्क नही देने पर वन विभाग ने रोका ईसीएल की कोयले की ढुलाई का काम

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न्यूज़ अरोमा गोड्डा: झारखंड सरकार द्वारा कोयला खनिज को वन पदार्थ मानते हुए झारखंड वनोपज (अधिनियम विनियमन) नियमावली 2020 के तहत परिवहन शुल्क लगा दी है।

मामले को लेकर जिला वन पदाधिकारी ने ईसीएल की राजमहल परियोजना पर अक्टूबर एवं नवंबर माह के कोयला परिवहन के लिए 13 करोड़ 36 लाख रुपए का दावा ठोक दिया है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए राजमहल परियोजना प्रबंधन ने कोयले का ट्रांसपोर्टेशन सड़क एवं रेल दोनों मार्ग से बंद कर दिया है।

इससे कंपनी को भारी नुकसान उठानी पड़ रही हैं।

वहीं एनटीपीसी को कोयला ना मिलने से उसकी कई इकाइयां बंद होने के कगार पर है।

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गौरतलब है कि झारखंड सरकार के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने गत 29 जून को अपने नए अधिसूचना संख्या 1715 में झारखंड के वन भूमि में होने वाले वनोपज पर भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 2 (4) बी के तहत सभी प्रकार के वन उत्पाद, लघु व वृहद खनिज जिनमें पेट्रोल, गैस आदि भी शामिल है के परिवहन पर परिवहन अनुज्ञप्ति प्राप्त करते हुए निर्धारित शुल्क लगाया गया है।

यह शुल्क ₹57 प्रति टन किधर से तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दी गई है।

पूरे मामले पर पूछे जाने पर राजमहल परियोजना के महाप्रबंधक प्रभारी देवेंद्र कुमार नायक ने बताया कि फिलहाल राजमहल परियोजना द्वारा वन क्षेत्र से कोयले का उत्पादन नहीं हो रहा है ऐसे में शुल्क ना लगाने को लेकर आवेदन किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस उत्पन्न विवाद के कारण एनटीपीसी को जहां कोयले की आपूर्ति बंद है वही स्टॉक जमा रहने से इसमें आग लगने की संभावना बढ़ गई है।

इधर, कोयला का संप्रेषण रुकने से जहां ईसीएल को एनटीपीसी से राशि मिलनी बंद हो गई है वही परियोजना में इस कार्य में जुटे सैकड़ों लोगों को रोजगार पर संकट गहराने लगा है।

स्थिति यदि जल्द न सुधारी तो राजमहल परियोजना की मुश्किलें और भी बढ़ सकती है।

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