रांची: राज्य के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा प्राप्त हो, इसके लिये राज्य सरकार ने छोटे-छोटे कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है।
स्वास्थ्य सरकार के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। इस कड़ी में सबसे पहले राज्य की सभी महिलाओं के लिए अच्छी मातृ स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ कराने की दिशा में कार्य आरंभ किया गया है।
इसके लिये पायलट प्रोजेक्ट के तहत एएनएम को डिजिटल एएनसी (एएनसी) किट से लैस करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सरकार द्वारा उठाया गया यह अभिनव कदम अब सकारात्मक परिणाम दे रहा है।
रांची के नामकुम प्रखंड के होरहाब एचएससी में कार्यरत एएनएम मुक्ता बाखला कहतीं हैं कि पूर्व में हमारे लिए चेक-अप करना मुश्किल था। लेकिन अब यह आसान और सुविधाजनक हो गया है।
इससे चेक-अप के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए बेहतर वातावरण बनाने में भी मदद मिली। पूर्व की तुलना में बदलाव देखने को मिल रहा है।
पंजीकरण की संख्या में भी दर्ज हुई वृद्धि
पायलट प्रोजेक्ट में रांची के 300 से अधिक एएनएम को डिजिटल एएनसी किट से सुसज्जित किया गया है। इसके लिए अलग-अलग एचएससी और आंगनवाड़ी केंद्रों की पहचान कर कार्य आरंभ किया गया।
अब राज्य सरकार सभी एएनएम को डिजिटल एएनसी किट से लैस कर मातृ स्वास्थ्य के आंकड़ों में सुधार करने की योजना बना रही है। पायलट प्रोजेक्ट से एएनसी पंजीकरण की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
परिवर्तन में मददगार किट
सरकार द्वारा प्रदान की गई डिजिटल किट के बाद एएनएम एएनसी से चेक-अप करने में सक्षम हैं। यह ग्रामीण महिलाओं की सही प्रतिक्रिया जानने और उन्हें खुद को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद कर रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट में प्रदान किए गए किट बैग में एक शिशु और वयस्क वजन मशीन, डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर, डिजिटल बीपी मॉनिटर और एक भ्रूण डॉपलर शामिल हैं।
एएनएम किट के साथ एएनएम को लैस करने से गर्भधारण की पहचान करना आसान हो गया है और गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य जांच प्रदान करने में भी मदद मिली है।
जागरूकता के लिए पहल भी, पूरे राज्य में लागू होगी योजना
इस योजना से शिशु मृत्यु दर, कुपोषण और एनीमिया को कम करने में मदद मिल रही है। विलेज हेल्थ सैनिटाइजेशन एंड न्यूट्रिशन डे पर सहियाओं की मदद से एएनएम यह सुनिश्चित करती हैं कि सभी आशावादी माताएं आंगनबाड़ी केंद्र तक पहुंचें और चेक-अप करवाएं।
सरकार ने इस परियोजना को राज्य के प्रत्येक जिले में लागू करने की योजना बनाई है। सरकार का मानना है कि इस तरह की परियोजना से कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु के मामलों में कमी आएगी और एनीमिया के उन्मूलन में मदद मिलेगी।