Human Trafficking: झारखंड सरकार द्वारा मानव तस्करी (Human Trafficking) के शिकार बच्चों को बचाने और पुनर्वासित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयास से दिल्ली के विभिन्न इलाकों से बचाए गए 25 नाबालिगों को झारखंड वापस लाया जा रहा है। इन बच्चों की उम्र 12 से 17 वर्ष के बीच है और इनमें से अधिकांश बच्चियां हैं, जिन्हें दिल्ली पुलिस और स्थानीय NGOs की मदद से बचाया गया।
गिरफ्तार तस्करों की निशानदेही पर बच्चों की तलाश
दिल्ली स्थित एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र की नोडल अधिकारी नचिकेता के अनुसार, यह ऑपरेशन साहेबगंज जिले के दो मानव तस्करों – पूनम मरांडी और ईश्वर तुरी की गिरफ्तारी के बाद मिले सुरागों पर आधारित था।
इन तस्करों ने बच्चों के ठिकाने की जानकारी दी, जिसके आधार पर रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) चलाया गया। इस मुहिम में एकीकृत पुनर्वास केंद्र में कार्यरत राहुल सिंह और निर्मला खलखो की अहम भूमिका रही। उनकी लगातार कोशिशों से इन बच्चों को दिल्ली और आसपास के राज्यों के विभिन्न स्थानों से छुड़ाया गया।
बच्चों की सुरक्षित वापसी, झारखंड सरकार की योजनाओं से होगा पुनर्वास
गुरुवार को ये सभी बच्चे CDPO खूंटी – अल्ताफ खान और CDPO साहेबगंज – पूनम कुमारी की देखरेख में रांची पहुंचेंगे। झारखंड भवन, नई दिल्ली के स्थानिक आयुक्त अरवा राजकमल के निर्देश पर यह पूरी कार्यवाही की गई।
झारखंड सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने मानव तस्करी के मामलों को बेहद गंभीरता से लिया है। यही कारण है कि अब तक सैकड़ों बच्चों को तस्करों के चंगुल से बचाकर उनके परिवारों तक पहुंचाया गया है और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है।
हर जिले को सतर्क रहने का निर्देश, पुनर्वास के लिए होगी कड़ी निगरानी
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव मनोज कुमार और निदेशक किरण कुमारी पासी (Kiran Kumari Pasi) ने सभी जिला समाज कल्याण पदाधिकारियों और जिला बाल संरक्षण पदाधिकारियों को आदेश दिया है कि इस तरह के मामलों की तुरंत जांच हो।
बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि:
-ऐसे मामलों की जानकारी मिलते ही तुरंत टीम बनाकर दिल्ली रवाना किया जाए।
-बचाए गए बच्चों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।
-सरकारी पुनर्वास योजनाओं से जोड़कर उनका भविष्य सुरक्षित किया जाए।
-बच्चों की सतत निगरानी रखी जाए ताकि वे फिर से तस्करी का शिकार न बनें।