रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में द्वितीय JPSC सिविल सेवा परीक्षा (JPSC Civil Services Exam) की CBI जांच कराने वाली बुद्धदेव उरांव (Buddhadev Oraon) की जनहित याचिका एवं राज्य सरकार की अपील की सुनवाई हुई।
मामले में CBI की ओर से जो स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) दाखिल किया गया वह वर्ष 2014 का था, जिस पर कोर्ट ने CBI के अधिवक्ता को CBI SP को कोर्ट की सुनवाई में ऑनलाइन जोड़ने को कहा।
समय सीमा में निर्णय लेने का आदेश
बाद में CBI DIG , पटना कोर्ट के समक्ष ऑनलाइन जुड़े। कोर्ट ने CBI DIG को निर्देश दिया कि दो सप्ताह में वह मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर बताएं कि केस किस स्टेज में है।
कोर्ट ने उन्हें कहा कि यदि CBI चार्जशीट दाखिल कर दिया है और अभियोजन स्वीकृति के लिए गई हैं, तो अभियोजन स्वीकृति पर सुप्रीम कोर्ट का एक समय सीमा में निर्णय लेने का आदेश है।
कोर्ट में CBI DIG , पटना को यह भी बताने को कहा है किन-किन आरोपितों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी गई है और यह अभियोजन स्वीकृति कब-कब मांगी गई है, यह भी बताएं।
मामले की सुनवाई छह सितंबर निर्धारित
कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह सितंबर निर्धारित की है। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई।
इससे पहले इसी मामले में राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता की ओर से कोर्ट को मौखिक रूप से बताया गया की सरकार ने उन्हें पद पर फिर से बहाल कर प्रमोशन दे दिया है उनमें से बहुत लोगों का कंफर्मेशन भी हो गया है।
इसलिए सरकार की अपील पर मेरिट पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। सरकार एक तरफ JPSC द्वितीय की परीक्षा के नियुक्त अधिकारियों को रीइंस्टेट (Reinstall) कर उन्हें प्रमोशन दे रही है और उनकी नियुक्ति कंफर्म कर रही है।
गड़बड़ी की जांच CBI से कराने का आग्रह
दूसरी ओर नियुक्त अधिकारियों के खिलाफ अपील भी दायर कर रही है, यह समझ से परे है। JPSC की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवार एवं प्रिंस कुमार ने पैरवी की।
बुद्धदेव उरांव (Buddhadev Oraon) ने JPSC द्वितीय की परीक्षा में अंकों की हेराफेरी एवं रिजल्ट प्रकाशन में गड़बड़ी की जांच CBI से कराने का आग्रह किया है। राज्य सरकार की ओर से JPSC द्वितीय के नियुक्त अधिकारियों के खिलाफ LPA दायर किया गया है।