रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम (Virendra Ram) की संपत्ति की CBI जांच का आग्रह करने वाली पंकज कुमार यादव की जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार को हुई।
मामले में कोर्ट ने पूर्व अभियंता प्रमुख रासबिहारी सिंह तथा निलंबित मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को फिर से नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी। सुनवाई में चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया गया कि अदालत द्वारा इन्हें जारी नोटिस नहीं मिला है।
पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि वीरेंद्र राम के मामले में ईडी जांच कर रही है, अब तक उसकी 39.28 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर ली है लेकिन रासबिहारी सिंह का मामला वर्ष 2017 से ही एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के पास जांच के लिए लंबित है। इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
ACB ने इस मामले में सिर्फ सुरेश प्रसाद को जेल भेज दिया
पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद के जमशेदपुर आवास से नवंबर 2019 में करीब ढाई करोड़ बरामद हुए थे। यह राशि वीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन की थी लेकिन यह किसका है यह विजिलेंस टीम को पता नहीं चल पाया था।
ACB ने इस मामले में सिर्फ सुरेश प्रसाद को जेल भेज दिया। बाकी के खिलाफ किसी तरह की न तो जांच की गए और न ही कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सुरेश प्रसाद (Suresh Prasad) ने ACB को बरामद राशि के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी और कहा था कि यह किसका है पता नहीं। उनकी ओर से कहा गया कि इतनी बड़ी राशि बरामद हुई थी।
इस संबंध में आयकर विभाग को भी सूचित करना चाहिए था लेकिन इस मामले में ACB ने आगे की किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद के आवास से बरामद करीब ढाई करोड़ रुपये मामले में ग्रामीण कार्य विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम (Virendra Ram) की है।