Jharkhand High Court: हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि नाबालिग की सहमति से भी यौन संबंध बनाने वाले को दोष से मुक्त नहीं किया जा सकता।
जानकारी के अनुसार, खूंटी सिविल कोर्ट (Khunti Civil Court) ने सचिंद्र सिंह को नाबालिग के साथ दुष्कर्म (Rape) करने के आरोप में 9 फरवरी 2021 को दोषी करार दिया था। सचिंद्र सिंह ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 5 फरवरी 2005 का यह मामला है।
High Court में न्यायाधीश जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने बचाव पक्ष और राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि “विचारणीय बात यह है कि क्या पीड़ित की सहमति ने अपराध को नकार दिया है? बलात्कार (Rape) के मामले में नाबालिग लड़की की सहमति कोई मायने नहीं रखती।
घटना के समय यानी वर्ष 2005 में जब बलात्कार किया, उस वक्त सहमति की उम्र 16 वर्ष और उससे अधिक थी। वर्ष 2013 में किए गए एक संशोधन के जरिये ही इसे बढ़ाकर 18 वर्ष किया गया है।
बचाव पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि नाबालिग पीड़िता की सहमति आरोपी को उसके अपराध से मुक्त करने का आधार नहीं हो सकता है।