रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने साहेबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत मामले की जांच सीबीआई से करवाने का आदेश दिया है।
अदालत ने साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत के मामले में उनके पिता द्वारा दायर याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुनाया है।
मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में हुई। साथ ही अदालत ने राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं अपर महाधिवक्ता द्वितीय सचिन कुमार के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट ने इस संबंध में अपना आदेश पारित कर दिया है और दोनों से जवाब मांगा है। अवमानना से जुड़े इस मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना केस मामले में सुप्रीम कोर्ट से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। सिब्बल ने कहा कि ऐसा कोई शब्द का उपयोग नहीं किया गया है। इससे कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचे और अवमानना का केस बने।
सिब्बल ने कहा कि किसी भी केस के फैसला होने से पहले कैसे कोई कह सकता है कि यह केस 200 फ़ीसदी सीबीआई को जाएगा। बीते मंगलवार को सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
रुपा तिर्की की मृत्यु के बाद से ही उसके परिजनों सहित कई सामाजिक संगठनों ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए आंदोलन भी किया था और न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया गया था।
महाधिवक्ता द्वारा अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा मामले की सीबीआई जांच 200 प्रतिशत होने का दावा करने संबंधी जानकारी अदालत को दी थी।
उस मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पर अदालत की अवमानना करने का आरोप लगाते हुए उन पर अवमाननावाद याचिका चलाने के लिए आईए याचिका दायर की गयी थी।
उसी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता की ओर से अदालत में पक्ष रखा था।
उन्होंने कहा था कि इस मामले में अवमाननावाद याचिका चलाने योग्य नहीं है। इस क्रम में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि मामले की सीबीआई जांच जिसके लिए इस याचिका में कहा गया है, वह 200 प्रतिशत होगा ही, यह शॉकिंग था। प्रार्थी के अधिवक्ता द्वारा कही गयी बातें महाधिवक्ता ने अदालत को बतायी थी।
उन्होंने तो सिर्फ जानकारी दी कि यह अवमानना नहीं होती है। उन्होंने अदालत पर किसी भी प्रकार का दोषारोपण नहीं किया है।
सिब्बल ने कहा था कि अवमाननावाद एकल पीठ में नहीं सिर्फ युगल पीठ में ही सुनवाई योग्य है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि अवमानना के लिए दायर की गयी आइए को निरस्त कर दिया जाये।
अधिवक्ता के पक्ष सुनने के बाद अदालत ने मामले में निर्णय लेने की बात कही थी।उल्लेखनीय है कि बीते तीन मई को साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की पुलिस लाइन स्थित सरकारी क्वार्टर मे फंदे पर लटका हुआ शव पुलिस ने बरामद किया था।
साहिबगंज पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। इस मामले में जांच के बाद रूपा तिर्की की मौत को आत्महत्या बताया गया था।
मामले की सीबीआई जांच को लेकर परिजन और स्थानीय लोगों ने भी मांग की थी। सड़कों पर विरोध भी किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। एक सदस्यीय जांच आयोग में झारखंड हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।