रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के जस्टिस राजेश शंकर की कोर्ट में शनिवार को सातवीं से 10वीं JPSC परीक्षा (JPSE Exam) में दिव्यांगों के लिए आरक्षित सात सीटों (Reserved Seat for Divyang) में से चार सीटों को दूसरे कैटेगरी के अभ्यर्थियों से भरने को लेकर दाखिल सदानंद कुमार एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई हुई।
कोर्ट (Court) ने मामले में JPSC को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका देते हुए मामले की अगली सुनवाई 17 मई निर्धारित की है।
आरक्षित सात सीटों में से तीन सीटों को ही भरा गया
पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने मामले में JPSC को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था लेकिन उनकी ओर से जवाब अब तक नहीं आ सका। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स (Amritansh Vats) ने पैरवी की।
उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया कि सातवीं से दसवीं JPSC परीक्षा में जो मेरिट लिस्ट आया उसमें से दिव्यांगों के लिए आरक्षित सात सीटों में से तीन सीटों को ही भरा गया। बाकी चार सीटों को दूसरे Category के अभ्यर्थियों से भरा गया, जो राज्य सरकार के नियमावली के विरुद्ध है।
दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट को दिव्यांग कोटे से ही भरा जाए
नियमावली के अनुसार यह सभी सात सीटें दिव्यांगों अभ्यर्थियों से भरी जानी चाहिए थी। अगर एलिजिबल अभ्यर्थी (Eligible Candidates) नहीं मिलते तो दिव्यांगों की आरक्षित बची सीट को अगले साल के लिए कैरी-फॉरवर्ड किया जाना चाहिए था लेकिन JPSC ने ऐसा नहीं किया।
याचिका में कहा गया है कि JPSC की ओर से दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट को दिव्यांग कोटे से ही भरा जाए। अगर यह संभव नहीं हो पाता है तो इस सीट को अगले साल कैरी फॉरवर्ड (Carry Forward) किया जाए। दिव्यांग कोटे की सीट खाली रहने के बाद उसे अन्य कैटेगरी के अभ्यर्थियों से नहीं भरा जाए।