रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में शुक्रवार को रांची में 10 जून को हुई हिंसा की NIA से जांच कराने को लेकर पंकज कुमार यादव की जनहित याचिका की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गयी।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन (Dr. Ravi Ranjan) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की। साथ ही सुनवाई के लिए अगले सप्ताह की तिथि निर्धारित की।
कोर्ट ने कहा था- 10 हजार उपद्रवी कैसे जमा हो गये
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इस घटना के बारे में कोई खुफिया जानकारी पुलिस के पास थी या नहीं।
कितनी गोली पुलिस ने चलायी और उसमें कितने लोग घायल हुए और मरे, इसकी भी जानकारी दी जाये। कोर्ट ने कहा कि 10 हजार उपद्रवी कैसे जमा हो गये। इतना पत्थर कैसे जमा हो गया। पुलिस ने गोली चलाने से पहले पानी का फव्वारा, आंसू गैस, लाठीचार्ज क्यों नहीं किया।
याचिका में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची DC, SSP, Chief Secretary, NIA, ED को प्रतिवादी बनाया गया है।
अदालत से मामले की NIA जांच करा कर झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 (Jharkhand Property Destruction and Damage Prevention Bill 2016) के अनुसार आरोपितों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है।