रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स की छह स्टाफ नर्स को वर्ष 2014 से नियमित करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि जब उनकी नियुक्ति सही है, तो उन्हें सभी के समान अधिकार पाने का हक है। इसलिए उन्हें वर्ष 2014 से नियमित किया जाये।
जबकि, रिम्स ने उन्हें वर्ष 2018 से नियमित किया है। इसके अलावा कोर्ट ने इन्हें वर्ष 2003 से पीएफ और ग्रेच्यूटी देने का निर्देश दिया है, क्योंकि इनकी नियुक्ति ही उस समय संविदा पर हुई थी।
इससे पहले की सुनवाई में हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उक्त आदेश कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इनकी नियुक्ति वर्ष 2003 में सभी मानकों को पूरा करने के बाद हुई है।
इनका मामला उमा देवी के मामले में पारित आदेश के अंतर्गत आता है। इसलिए इन्हें भी अन्य स्टाफ नर्स की तरह सुविधा पाने का अधिकार है। उन्हें वर्ष 2014 से नियमित किया जाये।
गौरतलब है कि रिम्स ने छह स्टाफ नर्स को उम्र का हवाला देकर नियमित नहीं किया था। इसके खिलाफ लिली कुजूर सहित अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता शादाब बिन हक ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2003 में इन लोगों की रिम्स में संविदा के आधार पर स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति हुई थी। लेकिन, रिम्स ने वर्ष 2014 में नयी नियमावली बनाने के बाद स्थायी नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन लोगों ने इस नियुक्ति में आवेदन दिया। फिर भी रिम्स ने उम्र का हवाला देकर छह लोगों को नियमित नहीं किया।
जबकि, इनके साथ के अन्य सभी को नियमित कर दिया। जब इनके साथ काम करनेवाले लोगों को नियमित किया है, तो इन्हें इससे वंचित नहीं किया जा सकता है। रिम्स की ओर से कहा गया कि नियुक्ति के समय इनकी उम्र अधिक थी।