रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में वर्ष 2015 के प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में गैर पारा शिक्षक श्रेणी (Non Para Teacher Category) में आवेदन करनेवाले पारा शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है।
मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील पर फैसला सुनाते हुए एकल पीठ के आदेश को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा है एकल पीठ द्वारा पारित आदेश उचित है।
जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में प्रतिवादी अभ्यर्थी जो पारा शिक्षक (Para Teacher) थे लेकिन उन्होंने गैर पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन दिया था और वे अंतिम चयनित अभ्यर्थियों से अधिक अंक प्राप्त किए थे, उनके लिए अतिरिक्त काउंसिल कर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में चुनौती दी थी।
एकल पीठ में सुनवाई के दौरान पूर्व में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि वर्ष 2015 की प्राथमिक शिक्षक में गैर पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के लिए अब कोई काउंसलिंग नहीं की जाएगी। प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए उनका कंसीडरेशन नहीं किया जाएगा।
इस पर याचिकाकर्ता पारा शिक्षकों की ओर से एकल पीठ से कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं करने का निर्णय गलत है।
राज्य सरकार ने खंडपीठ में अपील दायर की
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार के इस आदेश को गलत माना था। साथ ही हाई कोर्ट की एकल पीठ ने आदेश दिया था कि वैसे पारा शिक्षक जो उक्त नियुक्ति परीक्षा में गैर पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन दिए थे और जिनके अंक अंतिम चयनित अभ्यर्थी से ज्यादा है उनके संबंध में उचित कार्रवाई की जाये।
उनके लिए अलग से काउंसलिंग की जाये। हाई कोर्ट के एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने खंडपीठ में अपील दायर की थी।
खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई पूरी कर पूर्व में आदेश सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि पारा शिक्षक जो गैर पारा शिक्षक कैटेगरी में शामिल हुए थे उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर करना गलत है।
ऐसे पारा शिक्षकों ने अपने आरक्षण (Reservation) का लाभ नहीं लेने का निर्णय लिया था। अंतिम चयनित अभ्यर्थियों से ज्यादा अंक लाने वाले प्रतिवादियों के लिए अतिरिक्त काउंसिल की जाए और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाये।