Ranchi Jharkhand High Court : झारखंड हाई कोर्ट ने साइबर फ्रॉड के शिकार लोगों के पैसे की वापसी मामले (Money Back Case) में कोर्ट के स्वत संज्ञान पर मंगलवार को सुनवाई की।
जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मौखिक कहा कि झारखंड में साइबर फ्रॉड के मामले (Cyber Fraud Cases) में शिकायत दर्ज होने तुरंत बाद FIR दर्ज की जानी चाहिए।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि साइबर क्राइम के 5000 से ज्यादा छोटे-बड़े मामले आते हैं। ऐसे में FIR दर्ज करना संभव नहीं होगा। इस पर खंडपीठ ने कहा कि साइबर क्राइम के प्रभावितों को उनके पैसे वापस दिलाने के लिए FIR होना जरूरी है।
खंडपीठ ने यह भी कहा की ऐसा भी एक प्रावधान होना चाहिए जिससे पैसा बैंक से क्रेडिट होने के बाद लोगों को मोबाइल पर मैसेज आए कि उनके पैसे किसके खाते में गए हैं, इससे साइबर क्राइम के आरोपितों के अकाउंट को तुरंत सीज करने में सहायता मिलेगी।
इससे पहले महाधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष साइबर क्राइम रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए किया जा रहे हैं प्रयास को चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया।
अगली सुनवाई 18 दिसंबर निर्धारित
कोर्ट ने सरकार को सुझाव दिया कि साइबर ठगी के शिकार लोगों को तात्कालिक राहत के लिए उनके पैसे वापसी के लिए कॉरपस फंड (Corpus Fund) बनाया जाना चाहिए।
साइबर फ्रॉड के बाद इस क्राइम को करने वालों के बैंक अकाउंट सीज करने के लिए एक मेकैनिज्म तैयार किया जाना चाहिए। साइबर फ्रॉड करने वालों के बैंक अकाउंट सीज करने के लिए मैन्युअल व्यवस्था के तहत बैंकों में कुछ कर्मचारियों को लगाया जाना चाहिए।
खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि गुजरात में साइबर क्राइम के शिकार लोगों के पैसे वापस करने को लेकर एक मॉडल तैयार किया है, उससे बेहतर मॉडल झारखंड में तैयार होना चाहिए।
कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान CID DG अनुराग गुप्ता (DG Anurag Gupta) सशरीर कोर्ट में उपस्थित थे।
वहीं मामले में इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर के वरीय अधिकारी ने देश में साइबर क्राइम की रोकथाम को लेकर सरकार द्वारा किए गए किए मेकैनिज्म की जानकारी दी।