Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने एक केस की सुनवाई करते हुए यह माना है कि जब तक किसी मामले में अनुसूचित जाति (SC) व जनजाति (ST) के व्यक्ति पर अपमानित करने के इरादे से विवाद या हमला नहीं किया गया हो, तबतक उस अपराध को SC-ST Act के दायरे में नहीं माना जाएगा।
दरअसल दुमका सिविल कोर्ट ने बैजनाथ सिंह और नावेद सिंह को SC-ST केस में दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
सोमवार को दोषियों की याचिका पर न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी की कोर्ट में सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि SC-ST अधिनियम की धारा 3(1)(x) के तहत अपराध स्थापित करने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के उद्देश्य से जानबूझकर अपमान या धमकी प्रदर्शित करना आवश्यक है।
किसी भी मामले में SC/ST अधिनियम के तहत तब तक अपराध नहीं बनता है, जब तक कि इसका उद्देश्य विशेष रूप से पीड़ित को उनकी जाति के आधार पर अपमानित करना न हो।