रांची: RIMS की बदहाली (Plight) और RIMS से जुड़े अन्य मामलों में शुक्रवार को हाई कोर्ट (High Court) में सुनवाई हुई।
हाई कोर्ट ने रिम्स प्रबंधन (RIMS Management) को फटकार लगाते हुए कहा कि शर्म आनी चाहिए कि एक ट्रॉली लेने के लिए मोबाइल गिरवी (Mortgage) रखना पड़ता है।
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने विभिन्न मामलों की सुनवाई एक साथ की। RIMS से जुड़ी कई रिट याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान RIMS की बदहाली पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। वहीं, नियुक्ति से जुड़े मामले पर अदालत कहा कि जांच के लिए कमेटी गठित होगी।
अगली सुनवाई के लिए 23 नवम्बर की तिथि निर्धारित
इसके साथ कोर्ट ने RIMS की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि RIMS कोर्ट चला रहा। हाई कोर्ट के खंडपीठ में RIMS में फोर्थ ग्रेड पर होने वाली नियुक्ति से संबंधित मामले में भी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने विज्ञापन में की गई गलतियों की जांच कराने की बात कही।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि विज्ञापन (Advertisement) में झारखंड का नागरिक होने की शर्त लगाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच कमेटी (Inquiry Committee) का गठन किया जाएगा। इस दौरान RIMS ने माना कि अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 23 नवम्बर की तिथि निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में अदालत में उक्त पदों पर चयनित हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र (Appointment Letters) देने पर रोक लगा दी थी।