Jharkhand High Court seeks reply from DSPMU: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (DSPMU) के तृतीय वर्गीय कर्मी के वेतन भुगतान को अत्यधिक बढ़कर भुगतान राशि की वसूली का पत्र निकाले जाने को खिलाफ दायर याचिका की बुधवार काे सुनवाई हुई।
मामले में कोर्ट ने वित्त विभाग एवं मानव संसाधन विभाग और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी मनोज किड़ो की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इसी तरह के एक मामले में हाई कोर्ट ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के द्वारा कर्मियों के अत्यधिक वेतन की वसूली को लेकर निकल गए पत्र पर रोक लगा दी थी लेकिन पुनः विश्वविद्यालय के द्वारा 17 अगस्त को रिकवरी प्रक्रिया में शुरू करते हुए उन्हें शोकॉज Notice जारी किया गया है जबकि हाई कोर्ट ने मनोज कुमार सहित 37 अन्य विश्वविद्यालय कर्मियों के मामले में याचिकाकर्ता को 22 अगस्त तक अपना रिप्रेजेंटेशन श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय को देने और विश्वविद्यालय को उसपर पुनर्विचार करने को कहा था।
तब तक अत्यधिक वेतन वसूली से संबंधी विश्वविद्यालय के आदेश पर रोक रखी थी और याचिका निष्पादित कर दी थी लेकिन 22 अगस्त तक रिप्रेजेंटेशन देने के पूर्व ही याचिकाकर्ता को शो कॉज नोटिस जारी करते हुए रिकवरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जो हाई कोर्ट के पूर्व के आदेश की अवमानना है।
डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (Dr. Shyama Prasad Mukherjee University) ने तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मियों को अत्यधिक वेतन भुगतान वापसी के संबंध में पत्र जारी करते हुए कहा था कि सातवें वेतनमान के तहत विश्वविद्यालय ने उन्हें अधिक वेतन भुगतान कर दिया है। इसलिए उन्हें किए गए अत्यधिक वेतन को वापस करना होगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने पैरवी की।
अधिवक्ता राजेश कुमार ने Court को बताया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने सातवें वेतनमान के तहत प्रार्थी को 13 लाख रुपये अधिक का भुगतान किए जाने के संबंध में पत्र निकाला है। कहा है कि उन्हें सप्तम वेतनमान के तहत अधिक भुगतान कर दिया गया है, जिसकी वसूली की जाएगी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय का यह आदेश गलत है।