रांची: Jharkhand High Court के चीफ जस्टिस (chief Justice) संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सोमवार को खान विभाग के मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से खुद एवं अपने रिश्तेदारों को लीज आवंटित करने से संबंधित RTI कार्यकर्ता एवं हाई कोर्ट के अधिवक्ता सुनील कुमार महतो की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
खंडपीठ ने राज्य सरकार और ईडी को जवाब दाखिल करने को कहा है।
खान आवंटन मामले में राज्य सरकार (State Government) और ED प्रतिवादी हैं।
मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया
सोमवार को सुनवाई के दौरान State Government की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बहस की, जहां उन्होंने पूर्व के एक मामले का हवाला देते हुए इस मामले को भी मेंटेनेबल (Maintainable) नहीं बताया।
उन्होंने कहा कि यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है। इसी तरह का एक मामला शिव शंकर शर्मा एवं अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका है।
इस याचिका में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं अन्य के खिलाफ Jharkhand High Court के खंडपीठ की ओर से पारित आदेश को पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है।
ऐसे में फिर इस मामले को उठाना सही नहीं लगता है।
संवैधानिक पद का दुरुपयोग
मामले को महाधिवक्ता की ओर से मेंटेनेबल नहीं बताए जाने के बाद याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि यह मामला अलग है। इसमें हेमंत सोरेन ने अपने संवैधानिक पद (Constitutional Position) का दुरुपयोग किया है।
जब उन्होंने खान आवंटित किया था, तब वो खान मंत्री थे।
इसके बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की दलील को सुनने के बाद राज्य सरकार, ED को जवाब देने को कहा है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह एवं विशाल कुमार ने पक्ष रखा।
खान विभाग के मंत्री पद
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने खान विभाग के मंत्री पद पर रहते हुए खुद अपने लिए माइनिंग लीज आवंटित कर लिया था।
इसके अतिरिक्त उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन एवं साली सरला मुर्मू की कंपनी को भी माइनिंग (Mining) लीज आवंटित कर दिया था।