रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के मुख्य न्यायाधीश Dr. रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधित नियमावली 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई जारी रही।
अब सात सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। रमेश हांसदा एवं अन्य की ओर से इस नियमावली को चुनौती दी गई है।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के मामले में यह प्रावधान शिथिल रहेगा
मामले में State Government की ओर से पक्ष रखा गया। बताया गया कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (Jharkhand Staff Selection Commission) ने नियमावली में संशोधन के माध्यम से यहां की रीति रिवाज और भाषा को परखने के लिए एक मापदंड तैयार किया है।
पूर्व की सुनवाई में प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि नियमावली में Jharkhand के शिक्षण संस्थाओं से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
साथ ही स्थानीय भाषा, रीति रिवाज की भी जानकारी जरूरी है। लेकिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के मामले में यह प्रावधान शिथिल रहेगा।
ऐसे में उन्हें आरक्षण के बाद अतिरिक्त लाभ देने का कोई औचित्य नहीं है। हिंदी को क्षेत्रीय भाषा की श्रेणी से निकाल दिया गया है। भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को हटाया जाना अनुचित है, क्योंकि राज्य में सबसे ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं।
यह भी कहा गया गया कि राज्य सरकार की ओर से संशोधित नियुक्ति नियमावली में लगाई गई शर्तों के कारण वैसे अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं, जिन्होंने राज्य के शिक्षण संस्थाओं से Graduate की Degree हासिल की है, लेकिन उन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा दूसरे राज्यों से पास की है।
प्रार्थी की ओर से JSSC की संशोधित नियुक्ति नियमावली को रद्द करने का आग्रह HC से किया गया है। कहा गया है कि इस नीति से Jharkhand के लोग अपने राज्य में नौकरी हासिल नहीं कर सकते हैं, यह भेदभाव वाली नीति है।