Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में मिलावटी खाद्य पदार्थों के मामले में कोर्ट के स्वतः संज्ञान की सुनवाई सोमवार को हुई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मिलावटी खाद्य पदार्थों (Adulterated Foods) की रोकथाम में राज्य सरकार की शिथिलता को देखते हुए मौखिक कहा कि लोग मिलावटी खाना खाकर बीमार हो रहे हैं लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है।
सरकार बताए कि मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से लोगों के नुकसान को रोकने को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य के 24 जिलों में मात्र रांची के नामकुम में खाद्य पदार्थों की जांच के लिए फूड लैब बनाए हैं, फूड लैब की संख्या कम से कम चार होनी चाहिए थी।
वहीं राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थ के लिए जांच के लिए मोबाइल वैन की संख्या कम से कम 24 होनी चाहिए थी, ताकि राज्य के सभी जिलों में मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच हो सके।
न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने JPSC से पूछा कि वर्ष 2023 में फूड सेफ्टी ऑफिसर के 56 पदों सहित फूड एनालिस्ट, Microbiologist आदि के पदों को भरने के लिए जो विज्ञापन निकाला गया था, उसपर अब तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं हुई? कोर्ट ने मामले के अगली सुनवाई 12 मार्च निर्धारित की है। मामले में Amicus Curiae पीयूष पोद्दार पक्ष रखा।
मामले में एमिकस क्यूरी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य के 24 जिलों में मात्र रांची के नामकुम में फूड लैब है, राज्य में फूड सैंपल कलेक्शन के लिए दो मोबाइल वैन है लेकिन इसमें भी फूड टेस्टिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। राज्य के दूसरे जिलों से फूड सैंपल नामकुम लैब आते-आते फूड सैंपल खराब हो सकता है।