रांची: झारखंड हाईकोर्ट बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने के मामले में 19 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगा।
झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई।
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
अब हाईकोर्ट के आदेश पर सबकी निगाहें टिकी हैं। अदालत ने भाजपा की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई से इनकार कर दिया और सिर्फ बाबूलाल की याचिका पर सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि भाजपा में कई लोग हैं जिन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है, क्योंकि यह पद काफी महत्वपूर्ण है।
मामले में 19 जनवरी को सुनवाई होगी। राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राजीव रंजन और पीयूष चित्रेश ने अदालत में पक्ष रखा।
उल्लेखनीय है कि दल बदल मामले में बाबूलाल मरांडी की ओर से काउंटर का जवाब दाखिल करने के लिये समय मांगा गया था।
जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान विधानसभा ने हाईकोर्ट में लॉ पॉइंट पर काउंटर एफिडेविट दायर किया था।
जिसपर बाबूलाल मरांडी को रिज्वाईनडर दाखिल करने का निर्देश दिया गया था।
वहीं हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि देश की सर्वोच्च अदालत ने जल्द इस मामले का समाधान करने का निर्देश दिया है और अदालत इसके लिए प्रतिबद्ध है।
मालूम हो कि 12 जनवरी को दल बदल मामले में झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट को यह निर्देश दिया था कि झारखंड हाइकोर्ट दल बदल के मामले में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुनाये।
झारखंड विधानसभा के स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने विधायक भूषण तिर्की के आवेदन पर 10वीं अनुसूची के तहत बाबूलाल मरांडी को एक बार फिर 17 दिसंबर को नोटिस जारी दिया है।
नोटिस में बाबूलाल मरांडी से दोबारा यह पूछा गया है कि क्यों न आपके खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की जाए?। इस पर जवाब मांगा गया है।
पूर्व में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी किया गया था, जिस पर हाइकोर्ट ने 17 दिसंबर को यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि 10वीं अनुसूची में स्वतः संज्ञान लेकर अध्यक्ष को नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है।
जबकि अदालत में सुनवाई के दौरान विधानसभा की तरफ से पक्ष रख रहे महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा था की दल बदल के इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा लिया गया संज्ञान संवैधानिक है और आर्टिकल 226 के तहत जब तक विधानसभा के न्यायाधिकरण में यह मामला लंबित है। अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।