Hemant government through EC: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने BJP पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने BJP ED और CBI के बाद अब इलेक्शन कमीशन के जरिए राज्य सरकार को फिर से अस्थिर करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से इलेक्शन कमीशन की टीम आज झारखंड आयी और जिस प्रकार से बैठकें कर रही हैं, इससे पदाधिकारियों में भ्रम और भय पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड में धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक दृष्टिकोण से छठ तक चुनाव संभव नहीं है।
भट्टाचार्य गुरुवार को हरमू स्थित पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आखिरकार भाजपा को किस बात का डर है। पूरे देश में हर स्टेट का समय
पूर्व चुनाव करा कर क्या हासिल हो जाएगा, इसका जवाब भाजपा को देना चाहिए। BJP यह नहीं चाहती है कि राज्य की सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचे। अगर झारखंड में जबरन समय पूर्व चुनाव थोपने का प्रयास हुआ तो JMMउसका मुंह तोड़ जवाब देगा।
उन्होंने कहा कि यह पूरी साजिश झारखंड सरकार के घोषित योजनाएं और सरकारी नौकरी देने के शिड्यूल को देखते हुए रची जा रही है ताकि इसका लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाये। इलेक्शन कमीशन झारखंड में 10 नवंबर से 20 दिसंबर तक कभी भी चुनाव करा ले, स्वागत है।
क्योंकि झारखंड में वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल का अवधि समाप्ति 4 जनवरी 2025 है। इसलिए BJP इलेक्शन कमीशन की आड़ में झारखंड के लोगों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे, नहीं तो इसका विरोध होगा।
उन्होंने कहा कि जुलाई से अगस्त के बीच श्रावण मास रहेगा। भादो में भी देश के लाखों लोग देवघर आते हैं। इसके अतिरिक्त भादो में जन्माष्टमी, करमा सहित कई तरह के पर्व-त्योहार होते हैं। आश्विन मास में दो अक्टूबर को महालया है। तीन अक्टूबर को नवरात्र शुरू होगा। 12 अक्टूबर को विजयदशमी होगी।
17 अक्टूबर को लक्खी पूजा है जो पूरे संथाल और कोल्हान क्षेत्र में उत्सव के तौर पर मनायी जाती है। 21 अक्टूबर को अमावस्या और काली पूजा। इसके बाद 7 नंवबर को दीपावली और फिर छह दिन बाद छठ है। इतना ही नहीं छठ में यहां पर निवास करने वाले लाखों यूपी, बिहार के लोग अपने पैतृक स्थान वापस जाते हैं। जो कार्तिक मास के बाद लौटते हैं। पूरा कार्तिक पर्व-त्योहार ही होता है।
अगर बारिश की बात की जाये तो, झारखंड में मानसून लेट है। इसलिए जुलाई से सितंबर तक खेती-बाड़ी का समय रहेगा। अब ऐसी स्थिति में चुनाव करना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।