लोहरदगा: प्रकृति पूजा का पर्व सरहुल जिले में सोमवार को पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया।
जिले में सरहुल पर भव्य शोभायात्रा निकली। ग्रामीणों से शहर की शहर की गलियां पट गयीं। सड़क और चौक चौराहों पर आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा नजर आ रही थी।
सरहुल के मुख्य अनुष्ठान का प्रारंम्भ एमजी रोड स्थित झखरा कुंबा से समारोहपूर्वक हुआ।
शोभायात्रा को लेकर विभिन्न खोड़हा दलों में विशेष उत्साह था। पारंपरिक वेशभूषा में विभिन्न गांवों के लोग अलग अलग दल में बंटकर शोभायात्रा में शामिल थे।
प्रत्येक खोड़हा दल एक दूसरे से बेहतर प्रस्तुति देने को तत्पर था। शहर की सड़कों पर लय स्वर व ताल के साथ सरहुली गीत गूंज रहे थे।
आनंद के इस उत्सव में शामिल हर सरना धर्मावलंबी मस्त था। धरती और सूरज के इस विवाह उत्सव को यादगार बनाने के लिए सभी अपनी अपनी तरफ से प्रयत्नशील थे।
मांदर की मधुर थाप, नगाड़े की गूंज तथा शंख ध्वनियों से वातावरण के मंगलमयी होने का संदेश दिया जा रहा था।
खोड़हा दलों में शामिल युवक युवतियां एक दूसरे के हाथों में हाथ डालकर थिरकते हुए एकता के साथ आगे बढ़ने का संदेश दे रहे थे। चिलचिलाती धूप भी इनके उत्साह को कम नहीं कर पा रही थी।
प्रकृति से जुड़ा है मानव का अस्तित्व : डॉ रामेश्वर उरांव
मौके पर मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि आधुनिक युग में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर पूरा देश चिंतित है तथा प्रकृति संरक्षण व संवर्द्धन एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।
ऐसी परिस्थति में सरहुल त्योहार की महत्ता बढ़ जाती है। उन्होंने ने सभी जाति, धर्म व समुदाय के लोगों से प्रकृति पर्व सरहुल को हर्षोल्लास के साथ मनाने की अपील की।