Ranchi News: केंद्र सरकार ने 4 अप्रैल 2025 को पारित वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है। रांची विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक प्रत्याशी और सामाजिक कार्यकर्ता महताब आलम ने झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार को ज्ञापन सौंपकर इस अधिनियम को राज्य में लागू न करने की मांग की।
आलम ने इसे मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दिया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और 26 (धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार) का उल्लंघन है।
महताब आलम ने कहा, “वक़्फ़ संपत्तियों पर सरकारी दखल और गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक़्फ़ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता को खत्म कर देगा।
यह अधिनियम अल्पसंख्यकों की भावनाओं और हक़ के साथ अन्याय है।” उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करने और वक़्फ़ संपत्तियों को हड़पने की साजिश है।
अल्पसंख्यकों के साथ विश्वासघात
इस मुद्दे ने झारखंड की सियासत को गरमा दिया है। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और AIMIM, ने केंद्र की BJP सरकार पर हमला बोला है।
AIMIM के स्थानीय नेता अब्दुल कादिर ने X पर लिखा, “वक़्फ़ अधिनियम संशोधन मुस्लिम विरोधी है। झारखंड सरकार इसे लागू न करे।”
कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने चान्हो में एक सभा में कहा, “यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। हम विधानसभा में इसका विरोध करेंगे।”
संसद में चुप क्यों रहे?
हालांकि, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की चुप्पी और इस मुद्दे पर अस्पष्ट रुख ने विवाद को और बढ़ाया। महताब आलम ने JMM के राज्यसभा सांसद की वक़्फ़ संशोधन बिल की वोटिंग में अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई और इसे “अल्पसंख्यकों के साथ विश्वासघात” करार दिया।
X पर @drajoykumar
ने JMM पर तंज कसते हुए कहा, “JMM का कहना है कि वक़्फ़ संशोधन झारखंड में लागू नहीं होगा, लेकिन संसद में चुप क्यों रहे?”
JMM के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने 26 अप्रैल को प्रेस ब्रीफिंग में दावा किया कि “झारखंड में वक़्फ़ संशोधन लागू नहीं होने देंगे,” लेकिन पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान या विधानसभा में प्रस्ताव नहीं लाया गया।
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. बी.के. सिन्हा ने कहा, “JMM की खामोशी उनकी अल्पसंख्यक वोट बैंक को नाराज कर सकती है, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले।”
वक़्फ़ संशोधन के तेज हो रहा खिलाफ विरोध
झारखंड में वक़्फ़ संशोधन के खिलाफ विरोध तेज हो रहा है। 26 अप्रैल को रांची के बालसोकरा में “वक़्फ़ बचाओ, संविधान बचाओ” सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
25 अप्रैल को कडरू जामा मस्जिद के बाहर आज़ाद समाज पार्टी और भीम आर्मी ने हस्ताक्षर अभियान चलाया। रांची, हजारीबाग, और रामगढ़ में जुमे की नमाज के बाद काले पट्टे बांधकर प्रदर्शन किए गए।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने झारखंड के नेताओं से अपील की कि वे तमिलनाडु की तरह विधानसभा में प्रस्ताव पारित करें। तमिलनाडु ने 7 अप्रैल को वक़्फ़ संशोधन के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
झारखंड में 3,500 से अधिक वक़्फ़ संपत्तियां
झारखंड में 3,500 से अधिक वक़्फ़ संपत्तियां हैं, जिनमें मस्जिदें, मदरसे, और कब्रिस्तान शामिल हैं।
स्थानीय नेताओं का कहना है कि अधिनियम से इन संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा, जिससे समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता खतरे में पड़ सकती है।
रांची के मौलाना असजद रशीदी ने कहा, “हमारी संपत्तियां हमारे समुदाय की पहचान हैं। यह कानून हमें कमजोर करेगा।”
सुप्रीम कोर्ट में 65 से अधिक याचिकाएं दायर
सुप्रीम कोर्ट में 65 से अधिक याचिकाएं दायर हो चुकी हैं, और तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई जल्द शुरू हो सकती है। झारखंड विधानसभा में अगर विपक्ष इस मुद्दे पर प्रस्ताव लाता है, तो JMM को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा JMM और INDIA गठबंधन के लिए चुनौती बन सकता है।
JMM की चुप्पी और संसद में अनुपस्थिति पर सवाल?
वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 झारखंड में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने की ओर अग्रसर है। महताब आलम जैसे नेताओं के विरोध और सामुदायिक प्रदर्शनों ने इसे अल्पसंख्यक अधिकारों से जोड़ दिया है।
JMM की चुप्पी और संसद में अनुपस्थिति ने पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, खासकर जब तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने इस कानून के खिलाफ ठोस कदम उठाए हैं।