झारखंड

हेमंत सोरेन को जमानत मिलने पर JMM के जश्न मनाने को BJP ने बताया ‘कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट’

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) से जमानत मिलने के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है।

Hemant Soren bail as ‘Contempt of Court‘: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) से जमानत मिलने के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है।

प्रदेश BJP ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। JMM की प्रेसवार्ता पर BJP के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने पलटवार किया है। शाहदेव ने कहा कि Hemant Soren को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सिर्फ जमानत दी है, पर JMM ऐसे जश्न मना रहा है, जैसे उनको दोषमुक्त कर दिया गया है।

प्रतुल शाहदेव ने कहा कि आज हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने हेमंत सोरेन को जमानत जरूर दी है, लेकिन पूरे मुकदमे का विचारण (trial) अभी बाकी है।

इसलिए हेमंत सोरेन को दोषमुक्त मानकर JMM अदालत की अवमानना (Contempt of Court) कर रहा है।
डबल बेंच ने आरोपों को सही पाया था

प्रतुल ने कहा कि पहले हाई कोर्ट की डबल बेंच ने जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन पर लगे आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया था। हेमंत सोरेन ने हाई कोर्ट में जब अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, तो केस संख्या WP(Cr) 68/2024 में तीन मई, 2024 को एक्टिंग चीफ जस्टिस और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने अपने जजमेंट में हेमंत सोरेन पर लगे आरोपों को प्रथम दृष्टया सही माना था।

हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन की उस दलील को भी सही नहीं माना था, जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली स्थित आवास से बरामद 36 लाख रुपये उनके माता-पिता के इलाज के लिए रखे थे। हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देनेवाली याचिका को खारिज कर दिया था।

भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जायेगा

प्रतुल शाहदेव ने कहा कि JMM सिर्फ जमानत के सीमित मुद्दे पर दिये गये हाई कोर्ट के सिंगल जज के फैसले को दिखा रहा है, जबकि डबल बेंच की टिप्पणियों को नजरअंदाज किया जा रहा है। शाहदेव ने कहा कि सच की हमेशा जीत होती है और मोदी जी के ‘न्यू इंडिया’ में भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जायेगा।

शाहदेव ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के विरुद्ध रांची जमीन घोटाला, साहिबगंज का पत्थर खनन घोटाला, अवैध खनन घोटाला, ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाला, पेपर लीक घोटाला के आरोप लगे हैं। इस सरकार पर 70 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है।

भ्रष्टाचार पर रोक और पारदर्शिता के लिए बनी लोकायुक्त और सूचना आयोग (Information Commission) जैसी संस्थाओं को पंगु बना दिया गया है। यह स्पष्ट दर्शाता है कि यह सरकार नहीं चाहती है कि भ्रष्टाचार के मामले सामने आयें।

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