रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा है कि प्रदेश भाजपा राज्य को अस्थिर करने की साजिश कर रही है।
झामुमो महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को प्रेसवार्ता में कहा कि जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) और रूपा तिर्की के बहाने प्रदेश भाजपा राज्य को अस्थिर करने की साजिश कर रही है।
भट्टाचार्य ने प्रदेश भाजपा के आरोपों पर पलटवार किया है। भाजपा ने कहा था कि मंत्रिपरिषद के बिना किसी राज्यपाल से मशविरा किए नई नियमावली लागू की। राज्यपाल के क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का सारा कामकाज राज्यपाल के नाम पर ही होता है। राज्यपाल ही राज्य का मुखिया है।
उनकी मर्जी के मुताबिक ही नई नियमावली लाई गई है लेकिन अब भाजपा राज्यपाल को बरगला रही है।
उन्होंने 2006 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार के समय में ट्राईबल एडवाइजरी कमेटी में बदलाव किया गया था।
इस फैसले के खिलाफ पहले तो छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई लेकिन दोनों ही बार याचिकाकर्ता को मुंह की खानी पड़ी।
भाजपा जानबूझकर मामले को तूल देने की कोशिश कर रही है ताकि राज्य शासन की व्यवस्था को बिगाड़ा जा सके।
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार के गठन होने के बाद टीएसी के गठन को लेकर दो बार सरकार ने राज्यपाल के पास पांच सदस्यों के नामों की सूची भेजी थी।
दोनों ही बार राज्यपाल ने नामों पर आपत्ति जताते हुए सूची को वापस कर दिया।
उन्होंने कहा कि ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी का अध्यक्ष एक आदिवासी ही हो सकता है।
बावजूद इसके विगत पांच वर्षों में भाजपा के एक गैर आदिवासी मुख्यमंत्री टीएसी की बैठकों की अध्यक्षता करते रहे लेकिन राज्यपाल ने नहीं रोका।
हमारा राज पांचवी अनुसूची के अंतर्गत एक राज्य है। आदिवासी कवच को बचाने का काम कर रहा है तो भाजपा के नेताओं को तकलीफ होने लगती है।
उन्होंने रूपा तिर्की के मामले को लेकर भी भाजपा पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि रूपा तिर्की के मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है।
एसआईटी गठित की जा चुकी है। बिसरा को जांच के लिए हैदराबाद के फॉरेंसिक लैब में भेजा गया है।
रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच भाजपा के नेता राज्यपाल से मिलकर जांच पर सवाल उठाते हैं।
राज्यपाल द्वारा चिट्ठी भी जारी कर दी जाती है कि जांच संदेहास्पद है।
उन्होंने कहा कि राज्य की संवैधानिक मुखिया द्वारा राज्य पुलिस की जांच पर सवाल उठाना कहां तक तर्कसंगत लगता है।