झारखंड

बहू बाजार, डोरंडा, HEC सेक्टर दो समेत अन्य इलाकों में चिकन-मीट बेचनेवाले आये हाई कोर्ट के रडार पर, दिया यह निर्देश

झारखंड हाई कोर्ट में राजधानी समेत राज्य भर में मीट शॉप (Meat Shop) विक्रेताओं द्वारा दुकान के बाहर कटे हुए बकरा एवं मुर्गियों को खुले में प्रदर्शित किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार को हुई।

Chicken-meat sellers come Under the Radar of the High Court : झारखंड हाई कोर्ट में राजधानी समेत राज्य भर में मीट शॉप (Meat Shop) विक्रेताओं द्वारा दुकान के बाहर कटे हुए बकरा एवं मुर्गियों को खुले में प्रदर्शित किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार को हुई।

मामले में कोर्ट ने मौखिक कहा कि Court के आदेश का पालन चिकन एवं मीट दुकान संचालक नहीं कर रहे हैं। ये विक्रेता काले शीशे का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। कई मीट शॉप विक्रेता बिना लाइसेंस के ही अपनी दुकान चला रहे हैं।

कोर्ट ने रांची नगर निगम प्रशासक को निर्देश दिया कि बहू बाजार, डोरंडा, HEC सेक्टर दो आदि इलाकों में चल रहे चिकन एवं मीट्स शॉप विक्रेताओं के लाइसेंस का निरीक्षण करें। यह भी देखें कि वह लाइसेंस के Term and Condition को पूरा कर रहे हैं या नहीं। इसके अलावा वे फूड सेफ्टी का भी ध्यान रख रहे हैं या नहीं।

संबंधित थाना प्रभारियों पर भी कार्रवाई का निर्देश

कोर्ट ने रांची SSP को भी निर्देश दिया कि वह भी वैसे थाना क्षेत्रों के थाना प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई करें, जिनके इलाके में दुकानदार खुले में मांस और चिकन का प्रदर्शन कर रहे हैं।

कोर्ट ने रांची SSP और रांची नगर निगम प्रशासक को मांस विक्रेताओं के खिलाफ की गयी कार्रवाई के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जयप्रकाश एवं अधिवक्ता योगेश मोदी ने पक्ष रखा।

इससे पूर्व प्रार्थी के अधिवक्ता शुभम कटारुका ने कोर्ट को बताया कि रांची के डोरंडा, बहू बाजार, पंडरा आदि क्षेत्र में मीट एवं चिकन दुकान संचालक खुले में मीट का प्रदर्शन अभी भी कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता श्यामानंद पांडे की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि रांची शहर सहित राज्य में मीट विक्रेता बाहर खुले में कटे हुए बकरा एवं मुर्गियों को प्रदर्शित करते हैं। यह FICCI के रूल एंड रेगुलेशन के खिलाफ है। साथ ही Supreme Court एवं विभिन्न हाई कोर्ट की गाइडलाइन के विपरीत है।

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