मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना से आधी आबादी को बना रहे सशक्त: हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने रविवार काे पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुवा गोलीकांड के शहीदों की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा सह परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास कार्यक्रम में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया।

Digital Desk

Chief Minister is empowering half the Population through Maiyan Samman Yojana.: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने रविवार काे पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुवा गोलीकांड के शहीदों की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा सह परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास कार्यक्रम में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया।

उन्होंने 60 समूहों और व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टे का वितरण किया। प्रतीकात्मक रूप से सात सामुदायिक वनाधिकार (Community Forest Rights) पट्टे का वितरण किया गया। यह वन पट्टा मंझारी और हाटगाम्हरिया के लोगों के बीच वितरित किया गया। वनाधिकार पट्टा के 1253 दावेदारों के बीच कुल 1336.4 एकड़ वनाधिकार पट्टा दिया गया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड हमेशा से वीरों की धरती रही है। झारखंड का कोई भी ऐसा कोना नहीं है, जहां से वीर शहीदों के नाम आपको सुनने को ना मिले। चाहे अन्याय-शोषण-जुल्म के खिलाफ लड़ाई हो या फिर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग। हमारे आदिवासियों-मूलवासियों ने हमेशा संघर्ष किया।

उन्होंने किसी के सामने कभी झुकना नहीं सीखा। इन्होंने अपने मान-सम्मान और स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। भले ही इसके लिए अपनी कुर्बानी ही क्यों ना देनी पड़े। यही वजह है कि इतिहास के पन्नों में हमारे कई वीर शहीदों के नाम दर्ज है तो कई आज भी गुमनाम है। हमने हमें अपने सभी वीर शहीदों पर गर्व है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी मूल वासियों के रगों में जो खून दौड़ रहा है, वह जब उफान लेता है तो अपने हक और अधिकार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देता है। जितना आदिवासी का खून जमीन पर गिरता है, उतने ही आदिवासी वीर पैदा लेते हैं।

आदिवासी संघर्षों से बिखरता नहीं है बल्कि और मजबूत होकर सामने आता है। मैं इस बात को दावे के साथ कर सकता हूं कि जिस तरह लंबी लड़ाई के बाद झारखंड अलग राज्य लिया, उसी तरह इस राज्य को और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं।

सरकार गठन के साथ चुनौतियों पर चुनौतियां आती रहीं लेकिन विकास को देते रहे रफ्तार

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 में हमारी सरकार के गठन के साथी बड़ी-बड़ी चुनौतियां हमारे सामने आती रहीं। एक तरफ कोरोना की वजह से झारखंड समेत पूरी पूरी वैश्विक व्यवस्था ठप हो गई थी। ऐसे समय में भी हमारी सरकार ने जीवन-आजीविका (Livelihood) को बचाने का कार्य किया। इसके बाद भी चुनौतियां कम नहीं हुई।

पिछले दो वर्षों में सुखाड़ हमारे हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बना रहा लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों के बीच भी राज्य सरकार की योजनाएं शानदार तरीके से धरातल पर उतर रही हैं और विकास का नया आयाम गढ़ा जा रहा है।

आपको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़े

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में आज भी एक बड़ी आबादी गरीबी की जिंदगी जीने को मजबूर है। यहां वे बिचौलियों-दलालों के चंगुल में फंसे रहते हैं। खाने-पीने के समान से लेकर अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए दलालों से पैसे लेना पड़ जाता है। ऐसे में बिचौलियागिरी खत्म करना हमारा संकल्प है।

यही वजह है कि हमारी सरकार ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने के मकसद से कई योजनाएं लेकर आई है। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में हर घर में एक लाख रुपये हर वर्ष पहुंचाने का काम हमारी सरकार करेगी ताकि आपको किसी से कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़े।

बेटी हमारी बोझ नहीं मजबूत सम्पति बनेंगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियां हमारी बोझ नहीं मजबूत संपत्ति बनेंगी। अपनी बहन-बेटियों के सशक्तिकरण के लिए सरकार पूरी ताकत के साथ काम कर रही है। उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपनी बेटियों को जरूर पढ़ाएं। पढ़ाई पर होने वाले खर्च की चिंता नहीं करें। सरकार बच्चियों की पढ़ाई का पूरा जिम्मा उठा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी बहन-बेटियों की तकलीफ और दुःख-दर्द से भलीभांति वाकिफ हैं। ऐसे में उन्हें कैसे आगे बढ़ाएं, इस पर सरकार लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में झारखंड मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना (Chief Minister Maiyan Samman Yojana) के माध्यम से आधी आबादी को सशक्त बना रहे हैं।

देश के नीति निर्धारकों ने झारखंड पर नहीं दिया कोई ध्यान

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश-दुनिया में झारखंड की पहचान सोने के चिड़िया के रूप में है। यहां खनिज-संसाधनों की प्रचुरता है लेकिन यहां के आदिवासी-मूलवासी आज तक पिछड़े हैं। इसकी साफ वजह है कि देश के नीति-निर्धारकों की नजर में झारखंड की कभी अहमियत नहीं रही। यहां के लोगों को मजदूरी करने के लिए छोड़ दिया गया। वे रोजी-रोटी की खातिर हमेशा पलायन करने को मजबूर रहे। झारखंड को किस कदर दरकिनार किया गया।

इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी इस राज्य का एक लाख 36 हज़ार करोड रुपये केंद्र पर बकाया है। यदि यह पैसा हमें मिल जाए तो झारखंड की दशा और दिशा पूरी तरह बदल देंगे।

77 योजनाओं की रखी गई आधारशिला, 19 का उद्घाटन

मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में 201 करोड़ 83 लाख 6 हज़ार 547 रुपये की लागत से 96 योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास किया। इसमें 153 करोड़ 33 लाख 3 हज़ार 847 रुपये की 77 योजनाओं की नींव रखी गयी, वहीं 48 करोड़ 50 लाख 2 हज़ार 650 रुपये की 19 योजनाओं का उद्घाटन हुआ। इसके साथ लाभुकों के बीच 103 करोड़ 41 लाख 80 हज़ार रुपये की परिसंपत्तियां बांटी गईं।

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