झारखंड

आदिवासियों के लिए उनकी जमीन ही ज़िंदगी का आधार: बंधु तिर्की

Bandhu Tirkey Said: पूर्व मंत्री सह प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की (Bandhu Tirkey) ने कहा है कि आदिवासियों और मूलवासियों के लिए उनकी जमीन ही उनकी ज़िंदगी का आधार है।

जबतक उनके पास जमीन है तभी तक उनका अस्तित्व है अन्यथा वे विस्थापन और पलायन का शिकार होकर कब बेदखल हो जायेंगे, इसका पता भी नहीं चलेगा।

तिर्की बुधवार को रांची के मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका में रांची के विभिन्न शहरी एवं ग्रामीण मौजा के ग्रामीणों एवं अन्य लोगों के द्वारा द्वारा जमीन लूट के खिलाफ आयोजित एक दिवसीय विशाल धरना को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अबतक झारखंड में औद्योगिक विकास और नगर विकास का सबसे अधिक खामियाजा आदिवासियों और मूलवासियों ने ही भुगता है। क्योंकि, उन्होंने ही उसकी कीमत चुकायी है।

उन्होंने कहा कि जमीन को बचाने के लिये सरकार और प्रशासन को कड़ा कदम उठाना ही होगा अन्यथा ग्रामीण खुद एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से रांची के मौजा फुटकलटोली, तिलता, कमड़े, सिमलिया, हेसल, बाजरा, हेहल, पंडरा, सुंडिल, दहीसोत, बनहोरा, अगडू, झिरी, सुंडील, चटकपुर, भोड़ा मौजा में गैर मजरुआ जमीन और रैयती जमीन की भू-माफिया तत्वों के जरिये कब्ज़ा, लूट और खरीद-बिक्री जारी है।

इसके कारण गांव का स्वरुप ही बदल गया। तिर्की ने वैसे दलाल और अपराधी तत्वों को चिन्हित कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजने का सरकार से अनुरोध किया।

केंद्रीय सरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि जमीन बचाने के लिये सभी गांव के अगुवा को एकजुट होना होगा। समाजसेवी अलबिन लकड़ा ने कहा कि आदिवासी और मूलवासी की जमीन को बचाने के लिये सरकार को भू माफिया, अंचल अधिकारी एवं District Administration पर लगाम लगाने का काम अविलम्ब करना होगा। अन्यथा ग्रामीणों को बाध्य होकर कानून को अपने हाथ में लेना होगा।

इस एक दिवसीय धरना कार्यक्रम में संजय तिर्की, सुनील तिर्की, सुका उरांव, सुनील टोप्पो, राजेश लिंडा, मुन्तजीर खान, लालू खलखो, सिद्धांत तिर्की, मदरा पाहन, पीटर कच्छप सहित अन्य उपस्थित थे।

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