Former Director of RIMS, Dr. Rajkumar: राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के पूर्व निदेशक डॉ. राजकुमार ने अपने पद से हटाए जाने के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए प्रशासनिक अक्षमता के आरोप पूरी तरह निराधार हैं और उन्हें अपमानित कर पद से हटाया गया।
डॉ. राजकुमार ने याचिका में कई प्रमाण संलग्न किए हैं और न्याय की मांग की है।
डॉ. राजकुमार ने कहा कि अगर रिम्स गवर्निंग काउंसिल की बैठक में या बाद में इस्तीफा मांगा जाता, तो वह बिना देर किए पद छोड़ देते। उन्होंने कहा, “मैंने जीवन भर ईमानदारी से काम किया, कभी गलत तरीके से पैसे नहीं कमाए। मुझे अपनी बात रखने या सबूत पेश करने का मौका तक नहीं दिया गया। ऐसे में मेरे पास कोर्ट जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।”
क्यों हटाए गए डॉ. राजकुमार?
17 अप्रैल 2025 की रात स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने डॉ. राजकुमार को तत्काल प्रभाव से रिम्स निदेशक के पद से हटा दिया था। उस समय डॉ. राजकुमार दिल्ली में थे। हटाने का कारण प्रशासनिक अक्षमता और रिम्स नियमावली 2002 के तहत लोकहित में दिए गए निर्देशों का पालन न करना बताया गया।
पत्र में कहा गया कि डॉ. राजकुमार ने मंत्रिपरिषद, शासी परिषद, और स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया, और उनकी सेवाएं रिम्स अधिनियम 2002 के उद्देश्यों को पूरा करने में संतोषजनक नहीं पाई गईं।
उन्हें रिम्स नियमावली 2002 के नियम-9 (vi) के तहत तीन महीने का वेतन और भत्ता देकर पद से हटाया गया। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन होने की बात भी कही गई।
झारखंड में राजनीतिक तूफान कर दिया खड़ा!
डॉ. राजकुमार के हटाए जाने ने झारखंड में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी और बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि डॉ. राजकुमार को निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों को अनुचित भुगतान करने से इनकार करने की वजह से हटाया गया।
मरांडी ने दावा किया कि स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों ने उन पर Healthmap और Medall जैसी एजेंसियों को बिना अनुबंध के भुगतान करने का दबाव बनाया था।
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सोनल शांति ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि डॉ. राजकुमार को अक्षमता और विभागीय कार्यों में देरी के कारण हटाया गया, न कि जातिगत आधार पर। स्वास्थ्य विभाग ने भी बयान जारी कर कहा कि डॉ. राजकुमार की लगातार लापरवाही और निर्देशों की अवहेलना के चलते यह कदम उठाया गया।
डॉ. राजकुमार की याचिका पर अब झारखंड उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी, जहां उनके द्वारा पेश किए गए प्रमाणों की जांच की जाएगी। यह मामला रिम्स प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, और राज्य सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहा है।