Jharkhand High Court : बरियातू-बूटी रोड स्थित जेनेटिक हॉस्पिटल (Genetic Hospital) में हुई घटना को Jharkhand High Court ने गंभीरता से लिया है।
इलाज का बिल नहीं चुका पाने पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक महिला को कथित रूप से 23 दिनों तक बंधक बनाये रखने की घटना पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है।
Registration की जांच करें CS
कोर्ट ने रांची के सिविल सर्जन को अस्पताल के पंजीयन (Registration) की जांच करने का निर्देश दिया है। कोर्ट में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने आश्वस्त किया कि जांच कर Genetic Hospital प्रबंधन पर कार्रवाई की जायेगी। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि जेनेटिक अस्पताल ने मरीज के साथ अमानवीय व्यवहार किया है।
कोर्ट को बताया गया कि रनिया के बनावीरा नवाटोली निवासी सुनीता कुमारी को 28 मई को प्रसव पीड़ा होने पर खूंटी सदर अस्पताल ले जाया गया था। वहां से उसे रिम्स रेफर कर दिया गया। यहां आते ही एक ऑटो चालक महिला के पति मंगलू को झांसा देकर जेनेटिक अस्पताल ले गया, जहां महिला ने बच्चे को जन्म दिया।
अस्पताल प्रबंधन ने मंगलू से चार लाख रुपये मांगे। जमीन बेचकर दो लाख रुपये उसने दे दिये। शेष दो लाख रुपये देने में उसने असमर्थता जतायी।
इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने सुनीता को बंधक बना लिया। सूचना मिलने पर CID की टीम ने 27 जून को सुनीता को अस्पताल से मुक्त कराया था।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने महिला के पति को नवजात शिशु के साथ घर भेज दिया, तो उसने बकरी का दूध पिलाकर शिशु को जिंदा रखा। इस मामले में CWC ने भी स्वत: संज्ञान लिया है।