झारखंड हाई कोर्ट में मंजूनाथ भजंत्री के मामले में हुई सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में देवघर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने एवं चुनावी कार्यों से उन्हें अलग रखने के इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) के आदेश को लेकर मंजूनाथ भजंत्री की याचिका में Jharkhand High Court एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली ईसीआई की अपील पर बुधवार काे सुनवाई हुई।

Digital Desk
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Hearing in Manjunath Bhajantri’s case: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में देवघर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने एवं चुनावी कार्यों से उन्हें अलग रखने के इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) के आदेश को लेकर मंजूनाथ भजंत्री की याचिका में Jharkhand High Court एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली ईसीआई की अपील पर बुधवार काे सुनवाई हुई।

मामले में हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस संबंध कोर्ट में लंबित रिट पिटीशन सिविल (WPC) के रिकॉर्ड को मंगाया है। डब्लूपीसी अभी तक सक्षम बेंच के पास सुनवाई के लिए लंबित है, जिस पर अभी एक भी सुनवाई नहीं हुई है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट ने ईसीआई के इस दलील को नहीं माना था कि इस मामले की सुनवाई सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल( कैट) में होनी चाहिए।

एकल पीठ ने कहा था कि यह मामला रिट पिटीशन सर्विस ( डब्लूपीएस) का नहीं है। क्योंकि, सर्विस मैटर में एंप्लॉय एवं एंपलॉयर का संबंध रहता है। यह मामला रिट पिटीशन सिविल (WPC) का है।

इस मैटर को डब्लूपीसी के रूप में सुनवाई योग्य मानते हुए हाई कोर्ट में सुने जाने का निर्देश देते हुए मामले को सक्षम बेंच में ट्रांसफर करने का निर्देश एकल पीठ ने दिया था। एकल पीठ के समक्ष ईसीआई की ओर से इसकी सुनवाई कैट में करने का आग्रह किया गया था।

याचिकाकर्ता मंजूनाथ की ओर से हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई प्रोसीडिंग कभी शुरू ही नहीं हुई है इसलिए इस मामले को कैट में ले जाना उचित नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से इस डब्लूपीएस को डब्लूपीसी में बदलने के लिए कोर्ट के समक्ष आवेदन दिया गया था।

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एकल पीठ में सुनवाई के दौरान इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया की ओर से बताया गया था कि मंजूनाथ ने मधुपुर उपचुनाव के दौरान दुर्भावना व राजनीति से प्रेरित होकर सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ पांच प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसलिए इन पर विभागीय कार्रवाई की जाए और आने वाले चुनाव में इन्हें इलेक्शन ड्यूटी से मुक्त रखा जाए।

एकल पीठ के समक्ष प्रार्थी देवघर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ ने अपना पक्ष रखा था कि चुनाव आयोग, भारत सरकार ने उन पर विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि आने वाले किसी चुनाव से उन्हें अलग रखा जाए।

जबकि चुनाव आयोग को राज्य सरकार के अधिकारी के खिलाफ इस तरह के आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। चुनाव आयोग ने छह दिसंबर 2021 को झारखंड के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था, जिसमें मंजूनाथ को पद से हटाने एवं उन्हें चुनावी कार्य में नहीं लगाने का आदेश किया था।

मुख्य सचिव को मंजूनाथ के खिलाफ आरोप पत्र गठित करते हुए विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था। गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे पर एक दिन में पांच थानों में केस दर्ज करने मामले में दोषी माना था।

साथ ही संसद के खिलाफ छह माह में विलंब से आदर्श आचार संहिता का मामला दर्ज करने पर जवाब मांगा था। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को मंजूनाथ को DC के पद से हटाने का आदेश दिया था। बाद में चुनाव आयोग ने मंजूनाथ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश भी सरकार को दिया था। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त निर्धारित की है।

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