HEC Supply Workers and Employees Protested: सोमवार को HEC के सप्लाई मजदूरों और कर्मचारियों ने फैक्ट्री मुख्यालय (Factory Headquarters) के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया।
इनका आरोप है कि यहां के मजदूरों का 20 महीने से अधिक समय से पैसा फंसा हुआ है, लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो पाया। मजदूरों को बिना नोटिस के अचानक काम से बाहर कर दिया गया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर एक सप्ताह के अंदर प्रबंधन की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया तो वे अधिकारियों का घेराव करेंगे और अपने हक का पैसा लेकर रहेंगे।
दौरान प्रदर्शन में शामिल मजदूर संघ नेता हरेंद्र यादव ने कहा कि HEC प्रबंधन ने सप्लाई मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया है, जिससे उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।
बाहर कर दिया है तो उनका बकाया पैसा क्यों नहीं दिया जा रहा है? वहीं, HEC के सेवानिवृत्त कर्मचारी भवन सिंह कहते हैं कि HEC की शुरुआत वर्ष 1962 में हुई थी और इस दौरान यहां के मजदूरों और कर्मचारियों ने अपनी पूरी मेहनत से कंपनी को एक नये मुकाम पर पहुंचाया। इन मजदूरों की सुनने वाला कोई नहीं है।
भवन सिंह का कहना है कि पहले संसदीय समिति और नीति आयोग ने भी HEC को बचाने के लिए 1100 करोड़ रुपये आवंटित करने की बात कही थी, लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो सका है।
सेवानिवृत्त कर्मचारी भवन सिंह के मुताबिक, सभी मजदूरों ने साफ कर दिया है कि अगर अगले एक सप्ताह के अंदर मजदूरों के वेतन और उन्हें काम पर वापस लाने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो वे अधिकारियों का घेराव करेंगे।