Ranchi News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के आरोपों से संबंधित याचिका को झारखंड हाई कोर्ट में वापस ले लिया है। यह याचिका 2022 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस और चुनाव आयोग के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज से जुड़े मामले में चुनाव आयोग के फैसले को सार्वजनिक करने की मांग की थी।
28 मार्च 2025 को जस्टिस दीपक रौशन की पीठ ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है मामला?
भाजपा नेताओं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास शामिल थे, ने हेमंत सोरेन पर माइनिंग लीज आवंटन को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी।
तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने इस शिकायत को 2022 में निर्णय के लिए चुनाव आयोग को भेजा था। चुनाव आयोग ने सरकार, भाजपा, और हेमंत सोरेन का पक्ष सुनने के बाद अपनी राय राज्यपाल को भेजी।
हालांकि, राज्यपाल ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, और मीडिया में खबरें चलती रहीं कि चुनाव आयोग ने सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है।
इस अनिश्चितता और जानकारी नहीं देने के विरोध में हेमंत सोरेन ने 2022 में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें चुनाव आयोग के फैसले को सार्वजनिक करने और राज्यपाल के निर्णय पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
याचिका वापस लेने की वजह?
याचिका में तकनीकी कमियों के अलावा, हेमंत सोरेन के वकील सुनवाई के दौरान समय-समय पर अनुपस्थित रहे, जिससे मामला लंबा खिंचता गया।
अंततः, 28 मार्च 2025 को याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का फैसला किया। इसके पीछे का ठोस कारण स्पष्ट नहीं हुआ, लेकिन माना जा रहा है कि लंबित याचिका और बार-बार की देरी के कारण यह कदम उठाया गया।