बच्चे स्कूल नहीं आ सकते तो गुरुजी ने घर की दीवारों को ही बना दिया ब्लैकबोर्ड, सुपरहिट रहा झारखंड का यह मोहल्ला स्कूल

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दुमका: जिले के जरमुंडी प्रखंड के आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित डुमरथर गांव के बच्चे दीवारों पर बनाए गए ब्लैकबोर्ड में पुनः पढ़ाई शुरू कर दी है। बच्चों की पढ़ाई घर पर अनवरत जारी है।

गांव की गलियों में ही दीवारों पर बनाए गए ब्लैक बोर्ड में बच्चे अपने मन के अनुसार उत्साह के साथ पढ़ाई कर रहे हैं।

दीवारों पर बनाए गए ब्लैकबोर्ड एवं वर्णमाला, चित्रों से खेल खेल में बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

गत वर्ष 2020 में भी लॉकडाउन में जब पूरी दुनिया में स्कूल कॉलेज बंद था, तो विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ सपन कुमार के अनोखे पहल पर गांव के दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बना दिया गया था।

जिसमें बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। कोरोना की दूसरी लहर में लगभग डेढ़ महीने तक पढ़ाई बाधित रही।

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राज्य सरकार द्वारा डीजी साथ कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन पढ़ाने के लिए मोबाइल पर कंटेंट भेजा जा रहा है। लेकिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पास बहुत कम स्मार्ट मोबाइल है।

विद्यालय के 289 बच्चों में मात्र 15 प्रतिशत बच्चों के पास स्मार्टमोबाइल है। जिस कारण ऑनलाइन पढ़ाई यहां संभव नहीं है।

पुनः अभिभावकों और शिक्षक ने निर्णय लिया है कि घर के द्वार पर ही बच्चे कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए पूर्व की भांति पढ़ाई जारी रखेंगे।

बच्चे अपने द्वार पर बनाए गए ब्लैक बोर्ड में अपने द्वारा ही निर्मित चौक से अपने पसंद के विषयों को पढ़ते हैं।

जो कंटेंट बच्चों को समझ में नहीं आता है, उसे शिक्षक हल करते हैं। प्राथमिक स्तर के बच्चे दीवारों पर बनाए गए चित्र एवं वर्णमाला के माध्यम से खेल खेल में पढ़ाई करते हैं।

दुमका के उपायुक्त के निर्देश पर जरमुंडी के बीडीओ ने गांव में डोर टू डोर कोरोना टेस्ट भी कराया। जिसमें गांव के सभी लोगो का जांच रिपोर्ट नेगेटिव पाया गया।

उन्होंने कहा कि डुमरथर के बच्चे पूर्व की भांति लगातार काफी उत्साह के साथ पढ़ाई कर रहे है। बच्चे जो नहीं समझते हैं शिक्षक उनकी समस्याओं का निदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना के नियमों का यहां काफी सख्ती से पालन किया जा रहा है।

गांव के मांझी हडाम रामविलास मुर्मू ने ने भी सराहना करते हुए कहा कि चर्चा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में भी की थी।

साथ ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नीति आयोग एवं दुमका के उपायुक्त के साथ देश के कई एजेंसियों ने भी की है। जिससे हम लोगों का काफी उत्साह बढ़ा है और हम लोग कोविड 19 के नियमों का पालन करते हुए अपने बच्चों को घर के द्वार पर ही पढ़ाते हैं।

छात्र संदीप मुर्मू ने कहा कि द्वार पर पढ़ने से हमें काफी खुशी मिलती है। हमारे पास स्मार्ट मोबाइल नहीं है। जिस कारण हम ऑनलाइन नहीं पढ़ सकते हैं, किंतु अपने घर के द्वार पर अपने पाठ्यपुस्तक की पाठ को नित्य पढ़ाई कर रहे है।

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