Jharkhand Ranchi News: झारखंड हाई कोर्ट ने मंगलवार को कोडरमा के नवलशाही थाना क्षेत्र में 26 नवंबर 2019 को अपने परिवार के छह लोगों की निर्मम हत्या के दोषी गांगो दास की फांसी की सजा को बरकरार रखा।
कोर्ट ने गांगो की क्रिमिनल अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और इस अपराध को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में रखा।
हाई कोर्ट ने इसे जघन्य और घृणित कृत्य करार दिया। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने पहले फैसला सुरक्षित रखा था।
अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा
कोडरमा की निचली अदालत ने अक्टूबर 2024 में गांगो दास को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
गांगो ने इस फैसले को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों की गवाही पेश की, जिनमें पड़ोसी मदन दास का बयान अहम रहा।
जानें क्या है मामला
26 नवंबर 2019 की रात कोडरमा के नवलशाही थाना क्षेत्र में गांगो दास ने शराब के नशे में अपनी पत्नी शीला देवी से झगड़ा शुरू किया।
पड़ोसी मदन दास के अनुसार, रात करीब 9:45 बजे गांगो हाथ में चाकू और रॉड लेकर घर आया और गुस्से में अपनी पत्नी पर हमला कर दिया। इसके बाद उसने अपने चार वर्षीय बेटी राधिका कुमारी और दो वर्षीय बेटे पीयूष कुमार को भी चाकू और रॉड से मार डाला, जिससे दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
जब उसकी मां मसोमात शांति देवी बीच-बचाव करने आई, तो गांगो ने उन्हें भी रॉड और चाकू से गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके अलावा, उसने अपनी सात वर्षीय भतीजी नीतिका कुमारी और चांदनी कुमारी पर भी हमला किया।
शोर सुनकर आसपास के लोग जुटे, लेकिन गांगो ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और बाहर निकलने वालों को जान से मारने की धमकी दी।
हाई कोर्ट का फैसला
जस्टिस रोंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद गांगो की अपील को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि यह अपराध “समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर देने वाला” है और इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में रखा गया। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए फांसी की सजा को कंफर्म किया।
साथ ही, गांगो पर लगाए गए 10,000 रुपये के जुर्माने को भी बरकरार रखा।
छह लोगों की निर्मम हत्या को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ करार
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि गांगो दास का अपराध अत्यंत क्रूर और अमानवीय था। उसने न केवल अपनी पत्नी और बच्चों, बल्कि मां और भतीजियों को भी बेरहमी से मारा।
कोर्ट ने इसे समाज के लिए खतरनाक माना और कहा कि ऐसी घटनाएं दूसरों के लिए सबक होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के मचही सिंह बनाम पंजाब राज्य (1983) और बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य (1980) जैसे मामलों में निर्धारित ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ सिद्धांत के आधार पर फांसी की सजा को उचित ठहराया गया।