Ranchi News: झारखंड हाई कोर्ट ने पर्व-त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश MS रामचंद्र राव की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से केवल रांची जिले की कार्रवाई का शपथ पत्र दाखिल करने और अन्य जिलों की जानकारी नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताई।
कोर्ट ने सरकार को सभी जिलों में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा 6 मई 2025 तक शपथ पत्र के जरिए पेश करने का निर्देश दिया।
कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव ने कहा, “राज्य सरकार ने सिर्फ रांची जिले में ध्वनि प्रदूषण रोकने की कार्रवाई का शपथ पत्र दाखिल किया है।
बाकी जिलों की जानकारी क्यों नहीं दी गई? ऐसा लगता है कि अन्य जिलों में त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।”
कोर्ट ने मौखिक रूप से सरकार से पूछा कि उसके आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया।
यह जनहित याचिका पर्व-त्योहारों, खासकर दीपावली, छठ, और अन्य आयोजनों के दौरान लाउडस्पीकर, DJ, और पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने की मांग को लेकर दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (JSPCB) के दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की मांग की थी।
इससे पहले कोर्ट ने सरकार को सभी जिलों में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।
राज्य सरकार ने अपने शपथ पत्र में रांची जिले में DJ और लाउडस्पीकर के उपयोग पर निगरानी, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई, और जागरूकता अभियान जैसे कदमों का जिक्र किया।
हालांकि, अन्य 23 जिलों की कोई जानकारी नहीं दी गई, जिसे कोर्ट ने गंभीर लापरवाही माना।
याचिकाकर्ता ने कहा…
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शुभम कटारुका ने कोर्ट में तर्क दिया कि ध्वनि प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि बुजुर्गों, बच्चों, और मरीजों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है।
उन्होंने कहा कि CPCB के दिशानिर्देशों के अनुसार, रिहायशी इलाकों में रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा।