रांची: मानव तस्करी के शिकार हुए बच्चों व महिलाओं के लिए केंद्र सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है। इन योजनाओं के माध्यम से भारत सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पांच विशिष्ट घटकों पर काम करता है।
जिनमें मानव तस्करी से रोकथाम, बचाव, पुनर्वास, पुनः एकीकरण और तस्करी के पीड़ितों के साथ प्रत्यावर्तन पर काम किया जाता है। तस्करी का शिकार हुए बच्चों और महिलाओं के लिए केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना लागू किया है।
इस योजना के माध्यम मानव तस्करी को रोकने के लिए कार्य किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ पीड़ितों के बचाव और पुनर्वास के लिए भी काम किया जाता है।
इस योजना के माध्यम से पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। उक्त बातें केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में रांची सांसद संजय सेठ के सवाल के जवाब में कही।
सेठ ने झारखण्ड सहित देशभर में हो रहे मानव तस्करी पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री से सवाल पूछा था।
अपने जवाब में ईरानी ने कहा कि तस्करी को रोकने के लिए लाई गई उज्जवला योजना के तहत पीड़ितों को आश्रय, परामर्श, चिकित्सा, देखभाल, कानूनी सहायता और व्यवसाय प्रशिक्षण के साथ-साथ समाज में उनकी स्वीकार्यता हो। समाज के साथ वो रह सके, इसकी व्यवस्था की जाती है।
इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की है। इन सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की प्राथमिक जिम्मेदारी विभिन्न राज्य सरकारों की ही है।
केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत संस्थागत देखभाल को सीसीआई के माध्यम से पुनर्वास उपाय के रूप में विभिन्न राज्य के नागरिकों को सहायता प्रदान करती है।
इनमें बच्चों के देखभाल से संबंधित संस्थान, उनके कार्यक्रम, उनकी गतिविधियाँ, आयु के अनुसार शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, मनोरंजन, स्वास्थ्य सहित कई आयाम शामिल हैं।
ईरानी ने बताया कि राज्य सरकार को प्रतिवर्ष डब्लूसीडी के सचिव के माध्यम से परियोजना के लिए अनुमोदन बोर्ड पर विचार करने के लिए प्रस्ताव भेजना होता है।
राज्य सरकारों से जितने प्रस्ताव आते हैं, उस अनुसार अनुदान जारी किया जाता है। इसके तहत बाल संरक्षण सेवा बच्चों की सहायता, पीड़ित महिलाओं की मदद जैसे कई कार्य किए जाते हैं।
ईरानी ने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का मानव तस्करी का शिकार होना गंभीर बात है। इससे बचाव वह इसे रोकने के लिए सीएनसीपी के तहत बच्चों का केयर भी किया जाता है और उन्हें सुरक्षा देने की भी व्यवस्था की गई है।
गैर संस्थागत देखभाल ऐसे लोगों को प्रदान हो, इसके लिए एक नेटवर्क तैयार किया गया है। जिसकी देखरेख अंततोगत्वा राज्य सरकार को ही करनी है।
ईरानी ने बताया कि बाल संरक्षण सेवा योजना के तहत पूरे देश भर में 1191 बाल आश्रय, 247 खुले आश्रय और 366 विशेष आश्रय एजेंसियां काम कर रही हैं।
इन के माध्यम से तस्करी का शिकार हुए बच्चों-महिलाओं को संरक्षण दिया जाता है। साथ ही महिलाएं व बच्चे तस्करी का शिकार ना हो, इसके लिए भी कार्य किया जाता है।
चाइल्ड केयर संस्थान के माध्यम से ईरानी ने झारखंड में भी चल रहे कार्यों का लेखा-जोखा दिया।
उन्होंने बताया कि झारखंड में कुल 28 बाल गृह चल रहे हैं। पांच खुले आश्रय का संचालन किया जा रहा है जबकि 12 विशेष आश्रय एजेंसी काम कर रही है।
रानी ने यह स्पष्ट रूप से कहा कि इन मामलों में राज्य सरकारों के द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के पर ही केंद्र सरकार उसका विश्लेषण कर उस पर काम करती है।