Bakrid in Ranchi : सोमवार को यानी आज ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। सुबह से ही ईदगाहों में नमाज (Namaz)अदा की जा रही है।
ईदगाहों व मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए खास इंतजाम किया गया है।
Ranchi के कई इलाकों में रविवार की देर रात हुई बारिश से मौसम सुहाना हो गया। सोमवार को भी मौसम ठीक-ठाक बना रहा। इस बीच लोगों ने ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज अदा की।
रांची ईदगाह में सुबह 9 बजे मौलाना डॉ. असगर मिसबाही व डोरंडा ईदगाह में सुबह 8 बजे मौलाना अलकमा सिबली ने नमाज पढ़ी। सबसे पहले मक्का मस्जिद हिंदपीढ़ी में 5:20 बजे नमाज पढ़ी गई।
इसके बाद डोरंडा ईदगाह में नमाज अदा की गई। अन्य मस्जिदों व ईदगाहों में नमाज पढ़ी गई।
कुर्बानी का प्रतीक है बकरीद
एदार-ए-शरिया के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि बकरीद एक इंसान को दूसरे इंसान व संपूर्ण मानव जीवन के लिए बलिदान देने का प्रतीक है।
किसी भी मनुष्य को घमंड, लालच और द्वेष रहित होकर अपने जीवन को रब के आगे समर्पित कर देना ही असली कुर्बानी है।
आपसी समरसता व भाईचारे के माहौल में कुर्बानी का त्योहार मनाना हम सबका दायित्व है।
चाहत की कुर्बानी देने का पर्व
मसजिद-ए-जाफरिया के इमाम मौलाना तहजीबुल हसन ने कहा कि बकरीद का पर्व लोगों को इस बात का संदेश देता है कि हर इंसान को किसी न किसी मौके पर चाहत की कुर्बानी देनी चाहिए।
जानवर की कुर्बानी देना आसान है, लेकिन चाहत की कुर्बानी देना मुश्किल है और जो चाहत की कुर्बानी देता है, वह कामयाब है। उन्होंने कहा कि इस त्योहार को आपसी भाईचारे के साथ मनाएं। कोई ऐसा काम न करें, जो दूसरों को तकलीफ पहुंचाए।
औरों को तकलीफ देकर इबादत सही नहीं
मौलाना तहजीबुल ने कहा कि मजहब-इस्लाम में तकलीफ देकर इबादत करने को सही नहीं माना गया है। उन्होंने कहा कि जज्बा-ए- कुर्बानी जिस समाज में पाया जाता है, वह समाज तरक्की करता है।
हमारा हिंदुस्तान एकता का प्रतीक है और इस एकता को मजबूती प्रदान करना हर हिंदुस्तानी का फर्ज है। यही कारण है कि हमारे पर्व में मुसलमान के साथ-साथ सभी भारतवासी हमारा हिस्सा बनते हैं।