Jharkhand People Villages Spend more on Treatment than on Education: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Program Implementation) की ओर से जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि झारखंड के गांवों में लोग पढ़ाई से ज्यादा इलाज पर पढ़ाई से ज्यादा खर्च करते हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के ग्रामीण इलाकों में इलाज पर 12.6 व पढ़ाई पर 5.9 फीसदी खर्च किया जाता है। शहर में पढ़ाई पर गांवों की तुलना में लगभग दो गुना यानी 10.8 फीसदी खर्च किया जाता है, जबकि इलाज पर 10.7 फीसदी खर्च किया जाता है।
शहरी इलाकों में दूध व दूध से बने उत्पादों और फल पर गांवों की तुलना में अधिक खर्च किया जाता है। ग्रामीण इलाकों में अंडा, मछली व मीट पर शहर की तुलना में अधिक खर्च किया जाता है।
शहर में अनाज पर 14.2, दूध व दूध से बने उत्पादों पर 16.1, सब्जियों पर 11.3, फल पर 8.7, अंडा, मछली व मीट पर 9.7, पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर 21.2 फीसदी खर्च किया गया।
गांवों में अनाज पर 14.8, दूध व दूध से बने उत्पादों पर 11, सब्जियों पर 12.5, फल पर 6.1, अंडा, मछली व मीट पर 13.9, पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर 20.3 फीसदी खर्च किया गया।
इन पदार्थों पर खर्च सबसे अधिक
सर्वे के अनुसार देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 2022-23 में परिवारों ने खाद्य पदार्थों में से पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर कमाई का सबसे अधिक हिस्सा खर्च किया।
तमिलनाडु इसमें टॉप पर रहा, यहां ग्रामीण इलाकों में 28.4 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 33.7 प्रतिशत खर्च किया गया है।
प्रमुख राज्यों के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में खाने के बाद परिवारों ने परिवहन पर सबसे अधिक खर्च किया। इसके बाद टिकाऊ वस्तुओं तथा मनोरंजन का स्थान रहा। इलाज और ईंधन तथा बिजली पर लोगों ने खर्च किया।
गांवों में सबसे अधिक केरल में 18.9 प्रतिशत खर्च परिवहन पर किया गया। जबकि, झारखंड के गांवों में परिवहन पर 12.9 फीसदी खर्च किया गया। वहीं, शहर में परिवहन पर 13.8 फीसदी खर्च किया गया।
शहरी क्षेत्रों में, केरल में सबसे अधिक 16.6 प्रतिशत), तमिलनाडु में 16.1 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 16 प्रतिशत, गुजरात में 15.7 प्रतिशत तथा राजस्थान 15.6 प्रतिशत वाहन पर खर्च किया।
झारखंड के आदिवासी समूह का खर्च सबसे कम
प्रमुख राज्यों में समाजिक समूह के ग्रामीण व शहरी इलाकों में प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च के मामले में झारखंड के ग्रामीण इलाकों के आदिवासी व्यक्ति (Tribal Person) का खर्च देश में सबसे कम है।
यहां गांवों के आदिवासी द्वारा प्रति व्यक्ति औसत 2,218 रुपए मासिक खर्च किया जाता है। इसके बाद छत्तीसगढ़ के ग्रामीण आदिवासियों का औसत प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 2,258 व मध्य प्रदेश का 2,651 रुपए है।