Patient Advocate Educational Award: फेफड़े के कैंसर के क्षेत्र में काम करने वाली दुनिया की प्रतिष्ठित संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर (IASLC) ने वरिष्ठ पत्रकार और लंग कैंसर के अंतिम स्टेज के मरीज रवि प्रकाश को इस साल के पेशेंट एडवोकेट एजुकेशनल अवार्ड (Patient Advocate Educational Award) के लिए चुना है।
मूल रूप से बिहार के मोतिहारी पूर्वी चंपारण के रहने वाले रवि अभी रांची में अशोकनगर में किराए के मकान में रहते हैं। वे वर्ष 2007 से रांची में पत्रकारिता कर रहे हैं।
रवि प्रकाश को यह पुरस्कार सितंबर में अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत के सैन डिएगो शहर में आयोजित होने वाले वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑन लंग कैंसर (WCLC ) के दौरान सात सितंबर को दिया जाएगा।
यह पुरस्कार लंग कैंसर के क्षेत्र में मरीजों के मुद्दों को उठाने वाले शख्स को हर साल दिया जाता है। IASLC का पेशेंट एडवोकेट एडुकेशनल अवार्ड दुनिया के अलग-अलग देशों में मरीजों की Advocacy के क्षेत्र में काम कर रहे पांच लोगों को हर साल दिया जाता है। इस साल भारत से पत्रकार रवि प्रकाश को चुना गया है।
रवि प्रकाश जनवरी 2021 से लंग कैंसर से जूझ रहे हैं। उनका कैंसर चौथे स्टेज में पकड़ में आया था। उसके बाद वे न केवल अपने कैंसर का इलाज करा रहे हैं, बल्कि उन्होंने कई मंचों पर मरीजों की आवाज उठायी है।
सोशल मीडिया पर भी वे दवाओं की कीमत और कैंसर मरीजों की परेशानियों को लेकर लगातार मुखर रहे हैं। अभी तक कीमोथेरेपी के 68 सत्रों से गुजर चुके रवि प्रकाश कैंसर के मरीजों के लिए काम कर रही स्वयंसेवी संस्था लंग कनेक्ट इंडिया के निदेशक भी हैं। पिछले वर्ष उन्होंने काठमांडू में संपन्न सार्क Federation of Oncologists के सम्मेलन को भी संबोधित किया था।
इस बावत पत्रकार रवि प्रकाश ने कहा, जिंदगी आराम से चल रही थी। एक दिन कैंसर ने दस्तक दे दी। अंतिम स्टेज आ गया था। मेरी सांसें अब चंद घंटे, महीने या साल की मेहमान थीं। इसकी कोई तय समय नहीं।
दुनिया से जाने का वक्त कब आ जाए, इसकी कोई गारंटी आज भी नहीं है। तभी मैंने कैंसर को समझना शुरू किया। मरीजों की दिक्कतें समझी, तो फिर इसकी आवाज उठानी शुरू की। मुझे खुशी है कि International Association for the Study of Lung Cancer जैसी बड़ी संस्था ने मुझे इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना है।