Seven new Trained dogs Join Jharkhand Police: झारखंड पुलिस में सात नये प्रशिक्षित श्वानों (विस्फोटक -06, ट्रैकर -01) को शामिल किया गया है। सभी श्वानों को मेरठ कैंट से खरीदा गया है।
इसे लेकर सोमवार को पुलिस मुख्यालय में नये श्वानों के निरीक्षण से संबंधित कार्यक्रम आयोजित हुआ। DGP अजय कुमार सिंह, एडीजी अभिया संजय आनन्दराव लटकर, CID के IG असीम विक्रांत मिंज, स्पेशल ब्रांच के DIG कार्तिक एस सहित कई अन्य पदाधिकारी और सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
क्या है इन श्वानों में खासियत
-विस्फोटक को छिपाने के लिए गोबर, यूरिया और राख का उपयोग करके बाहरी गंध की उपस्थिति में लक्ष्य की गंध का पता लगाने के लिए स्नीकर श्वान की Conditioning पर जोर दिया जा रहा है।
-राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा नये तरीके को अपनाने के संबंध में फील्ड से प्राप्त इनपुट के आधार पर प्रशिक्षण में नवीनतम तकनीकों को शामिल किया गया। जैसे प्रिंटर कार्टिज, दो पहिया वाहन और प्रेशर कुकर आदि में विस्फोटक छिपाना।
-मानव बम/चलती आईईडी का पता लगाने के लिए मानव शरीर की तलाशी की शुरूआत और विस्फोट के बाद की जांच में स्नीकर श्वान द्वारा तलाशी।
– स्नीफर श्वान को इन खोज के लिए किया जाता है तैनात
ग्राउंड सर्च, वाहन सर्च, बिल्डिग सर्च, मानव शरीर की खोज और सामान की खोज शामिल है।
– श्वानों को उनकी मजबूत सूंघने की शक्ति के कारण किया जाता है इस्तेमाल
श्वानों को उनकी मजबूत सूंघने की शक्ति के कारण प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इनके नाक के म्यूकोसा में 225 मिलियन रिसेप्टर कोशिकाएं होती है। जो श्वानों की सूंघने की क्षमता को इंसानों से 40-45 गुणा बेहतर बनाती हैं।
श्वानों की सूंघने की क्षमता के अलावा, सुनने की क्षमता (इंसानों से 4 गुना बेहतर), दृष्टि (चलती वस्तुओं को हमसे बेहतर तरीके से पहचान सकती है) और छठी इंद्री (कम आवृत्ति चेतावनी कंपन का पता लगा सकती है) श्वानों को प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।