Jharkhand News: झारखंड के बोकारो जिले के ललपनिया थाना क्षेत्र में 21 अप्रैल को लुगू पहाड़ी की तलहटी में हुई भीषण नक्सली मुठभेड़ में मारे गए 1 करोड़ रुपये के इनामी नक्सली कमांडर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक, तालो दी, और रंजू मांझी उर्फ संथाली के शवों को बोकारो पुलिस ने 26 अप्रैल 2025 को दफनाया।
मुठभेड़ के छठे दिन तक इन तीनों नक्सलियों के परिजनों या समर्थकों ने शव लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई। बोकारो के पुलिस अधीक्षक (SP) मनोज स्वर्गियारी के निर्देश पर ललपनिया पुलिस ने मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में मानवीय और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए शवों को चास के मां काली श्मशान घाट में दफनाया।
कई बार परिजनों से संपर्क किया
ललपनिया पुलिस ने मुठभेड़ के बाद तीनों नक्सलियों—प्रयाग मांझी, तालो दी, और रंजू मांझी-के शवों की शिनाख्त के लिए उनके पैतृक गांवों में संपर्क करने की कोशिश की। प्रयाग मांझी धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के दलबुढ़ा गांव का निवासी था, जबकि तालो दी गिरिडीह जिले के निमियाघाट थाना क्षेत्र के बंदखारो और रंजू मांझी गिरिडीह की रहने वाली थीं।
पुलिस ने धनबाद और गिरिडीह में कई बार परिजनों से संपर्क किया और शवों की पहचान व अंतिम संस्कार के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि, परिजनों और स्थानीय लोगों ने शवों को स्वीकार करने या शिनाख्त करने से इनकार कर दिया।
बोकारो पुलिस ने कानूनी प्रावधानों के तहत शवों को 72 घंटे तक चास अनुमंडलीय अस्पताल और बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) के मोर्चरी हाउस में रखा।
इस दौरान DNA जांच के लिए सैंपल लिए गए और पोस्टमॉर्टम के बाद बरामद दो गोलियों को सुरक्षित रखा गया। छठे दिन, जब कोई दावेदार नहीं आया, तो पुलिस ने शवों को दफनाने का फैसला लिया।
21 अप्रैल 2025 को सुबह करीब 5:30 बजे, ललपनिया के लुगू पहाड़ी क्षेत्र में झारखंड पुलिस, CRPF की कोबरा बटालियन 209, और अन्य सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने नक्सलियों के एक बड़े दस्ते के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाया।
खुफिया सूचना थी कि भाकपा (माओवादी) का केंद्रीय कमेटी सदस्य प्रयाग मांझी उर्फ विवेक एक बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहा था।
ऑपरेशन के दौरान चोरगांवां के सोसो टोला के पास नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसका जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। मुठभेड़ में कुल 8 नक्सली मारे गए थे।