सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति (वर्ष 2016) में प्रमाणपत्र सत्यापन से वंचित अभ्यर्थियों की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।
28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने झारखंड सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अभ्यर्थियों ने मांग की है कि उनके प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर रिक्त 17,000 पदों पर नियुक्ति दी जाए।
झारखंड हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी। यह मामला सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले अभ्यर्थियों की सूचना न मिलने और JSSC की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
ये है अभ्यर्थियों का पक्ष
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे सुदूर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रहते हैं, जहां इंटरनेट और संचार सुविधाएं सीमित हैं। JSSC ने 2016 की हा
ईस्कूल शिक्षक भर्ती (विज्ञापन संख्या 21/2016) के लिए मेरिट लिस्ट जारी की, लेकिन उन्हें इसकी सूचना व्यक्तिगत रूप से नहीं दी गई।
जानें अभ्यर्थियों का आरोप
सूचना की कमी : पहले JSSC मेल और SMS के जरिए मेरिट लिस्ट और सत्यापन की सूचना देता था, लेकिन इस बार केवल वेबसाइट पर नोटिस डाला गया, जिसे वे समय पर नहीं देख सके।
जानबूझकर लापरवाही : JSSC ने सूचना देने में उदासीनता दिखाई ताकि उनके स्थान पर अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्त किया जा सके।
अधिकार का हनन : मेरिट लिस्ट में चयनित होने के बावजूद सत्यापन का मौका न देना प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) का उल्लंघन है।
अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि JSSC को उनके प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने और रिक्त पदों पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया जाए। उन्होंने कहा कि 17,000 में से कई पद अभी भी खाली हैं, और उनकी नियुक्ति से किसी तीसरे पक्ष को नुकसान नहीं होगा।
JSSC का पक्ष?
JSSC ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उसने सोनी कुमारी बनाम झारखंड सरकार (2020) मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया। इस फैसले में कोर्ट ने JSSC को मेरिट लिस्ट तैयार करने और पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।
JSSC का क्या कहना है?
पारदर्शी प्रक्रिया : मेरिट लिस्ट 15 जुलाई 2022 को JSSC की वेबसाइट (www.jssc.nic.in) पर अपलोड की गई थी, और नोटिस में स्पष्ट किया गया था कि सत्यापन की जानकारी वेबसाइट पर ही उपलब्ध होगी।
अभ्यर्थियों की लापरवाही : याचिकाकर्ताओं ने वेबसाइट नहीं देखी, जो उनकी अपनी गलती है। JSSC ने सभी को समान अवसर दिया था।
नियुक्ति प्रक्रिया पूरी : अधिकांश चयनित अभ्यर्थियों का सत्यापन और नियुक्ति हो चुकी है। अब नए सत्यापन से प्रक्रिया प्रभावित होगी।
JSSC ने यह भी कहा कि सत्यापन के लिए 30 दिन का समय दिया गया था, और समयसीमा के बाद कोई अपवाद नहीं बनाया जा सकता।
क्या है मामला
2016 की हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में 17,000 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था, लेकिन अनियमितताओं और देरी के कारण प्रक्रिया विवादों में रही।
2019 में सोनी कुमारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गलत मेरिट लिस्ट और अपारदर्शी चयन प्रक्रिया के लिए JSSC को फटकार लगाई थी। इसके बाद 2022 में नई मेरिट लिस्ट जारी हुई।
कई अभ्यर्थी, जो मेरिट लिस्ट में थे, सत्यापन के लिए उपस्थित नहीं हो सके। इनमें से कुछ ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने 17 नवंबर 2024 को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने JSSC के तर्क को सही ठहराया कि वेबसाइट पर नोटिस पर्याप्त था और अभ्यर्थियों की लापरवाही के लिए आयोग जिम्मेदार नहीं है। इसके बाद 34 अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की।