जमशेदपुरः विश्वव्यापी कोरोना महामारी में लगभग डेढ़ साल स्कूल-काॅलेज बंद रहे। अब जबकि संक्रमण कम हुआ है और स्कूल काॅलेज भी खुल गए हैं। इसके बावजूद स्कूल-काॅलेजों में स्टूडेंट्स की उपस्थिति नाममा़त्र की रह रही है।
आलम ये है कि पहले जिस स्कूल में हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स आते थे, वहां अब उनकी संख्या महज 40-45 ही रह गई है।
इस कारण स्कूल मैनेजमेंट की भी परेशानी बढ़ गई है। स्कूल के शिक्षकों के पास अब भी विद्यार्थी ऑनलाइन क्लास के लिए ही गुहार लगा रहे हैं।
ऐसे में लंबे समय बाद भी स्कूल-काॅलेज खुलने के बावजूद स्टूडेंट्स के नहीं पहुंचने की क्या है वजह। इसको लेकर स्टूडेंट्स व पेरेंट्स की क्या है सोच। जानने के लिए पढ़ें यह स्पेशल खबरः
क्या है मामला
COVID-19 के दौरान कई अभिभावकों की नौकरी गई तो कई की सैलरी घट गई, जो अबतक पटरी पर नहीं लौट पाई है। ऐसे में अभिभावक स्कूल कॉलेजों की फीस भरने या फिर आने.जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।
इस आर्थिक मंदी का असर अब पढ़ने.लिखने वाले छात्र भी झेलने को मजबूर हैं। इधर, स्टूडेंट्स का कहना है कि ऑटो से आने के लिए रोज उनके पास भाड़ा नहीं है।
ऑटो का भाड़ा दोगुना होने के कारण कई विद्यार्थी आने-जाने में असमर्थ हैं। इससे वे ऑनलाइन क्लास को ही प्राथमिकता दे रहे हैं।
क्या कहते हैं स्टूडेंट्स
ग्रेजुएट कॉलेज इंटरमीडिएट की को.ऑर्डिनेटर वीणा प्रियदर्शी ने कहा कि विद्यार्थी अब ऑनलाइन क्लास पर ही जोर दे रहे हैं। रोज कई छात्राओं के इसको लेकर फोन आते हैं।
छात्राओं का कहना है कि रोज आने में 60 से 70 रुपये लग रहे हैं। ऐसे में रोज कॉलेज जाना संभव नहीं है। यह स्थिति सिर्फ कॉलेजों में ही नहीं, बल्कि सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में भी है।
यहां भी छात्रों की उपस्थिति आधी से भी कम है। स्कूल खोलने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि छात्र ऑफलाइन क्लास के लिए स्कूल पहुंचेंगे, लेकिन स्थिति इसके उलट है।