रांची: लंबे समय से स्थायीकरण व वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे झारखंड के 65 हजार पारा शिक्षकों को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के खुद के निर्णय से पलटने के बाद जोर का झटका लगा है।
ऐसे में झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ राज्य इकाई ने शिक्षा मंत्री से प्रस्तावित नियमावली में राज्य के 55000 प्रशिक्षित पारा शिक्षकों के सेवा नियमतीकरण व वेतनमान के लिए क्या किया है, इसकी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
क्या है मामला
संघ के प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख ने कहा है कि विभिन्न समाचारपत्रों से जो जानकारी मिल रही है कि प्रस्तावित नियमावली में टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों को ही वेतनमान का लाभ मिलेगा, तो कभी बातें आ रही हैं कि दक्षता परीक्षा में तीन बार फेल होनेवाले पारा शिक्षकों को हटा दिया जायेगा।
ऐसे में पारा शिक्षकों के बीच कनफ्यूजन वाली स्थिति बन गयी है। ऐसे में मंत्री को चाहिए कि वह खुद सामने आकर प्रस्तावित नियमावली के बारे में असमंजस वाली स्थिति से को दूर करें। पूरा मामला सामने आकर स्पष्ट करें।
मंत्री के साथ वार्ता में बनी थी सहमति
सिद्दीक शेख ने कहा है कि 7 अगस्त एवं 18 अगस्त को संघ से वार्ता के समय बिहार की तर्ज पर झारखंड के पारा शिक्षकों के लिए सेवा नियमितीकरण एवं वेतनमान के लिए नियमावली बनाने की सहमति पहले शिक्षा मंत्री द्वारा दी गयी थी।
शिक्षा मंत्री के साथ वार्ता में तय हुआ था कि बिहार की तर्ज पर झारखंड के पारा शिक्षकों को वेतनमान दक्षता परीक्षा बाद में देनी होगी।
प्रस्तावित नियमावली के कैबिनेट में जाने से पहले पारा शिक्षक संगठन को भी देने का निर्णय शिक्षा मंत्री ने स्वयं लिया था।
एनसीटीई का झूठा हवाला
संघ ने कहा है कि झारखंड के पारा शिक्षकों को एनसीटीई का झूठा हवाला देकर बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है।
अन्य राज्यों में प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को वेतनमान दिया गया है और दिया जा रहा है, 2010 से पूर्व एनसीटीई की गाइडलाइंस झारखंड के पारा शिक्षकों पर लागू नहीं होती है। मूल शब्दों में कहा जाये, तो झारखंड के पारा शिक्षकों पर टेट लागू नहीं होता है।