रांचीः झारखंड सरकार ने पारा शिक्षक के लिए अहम फैसला लिया है। झारखंड के 60 हजार से अधिक पारा शिक्षक अब सहायक अध्यापक कहलाएंगे। जिसके लिए इन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।
प्रमाणपत्रों की जांच
शिक्षकों के आकलन परीक्षा और पहले के प्रमाण पत्रों की जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की जिम्मेदारी संबंधित ब्लॉक के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को दी गई है। जिसकी निगरानी जिला शिक्षा अधीक्षक करेंगे।
शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र
सभी शिक्षकों को अपने शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र के साथ अन्य प्रमाण पत्रों की हार्ड कॉपी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कार्यालय में जमा करने होंगें।
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की ओर से प्रमाण पत्रों की स्क्रूटनी और जांच प्रक्रिया पूरी करते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक को सौंपेंगे।
संविदा को कर दिया जाएगा समाप्त
15 दिनों के भीतर सभी प्रमाण पत्रों की जांच करते हुए अंतिम समिति को रिपोर्ट देंगे। अगर किसी भी शिक्षक का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया तो संबंधित शिक्षक पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही संविदा को भी समाप्त कर दिया जाएगा।
पारा शिक्षक कर रहे थे आंदोलन
लंबे समय से झारखंड के 60 हजार से अधिक पारा शिक्षक स्थायीकरण और वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे।
रघुवर सरकार के दौरान पारा शिक्षकों का आंदोलन उग्र था। हेमंत सोरेन ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पारा शिक्षकों को समायोजित करने का वादा किया था।
हेमंत सोरेन ने चुनावी घोषणा को पूरा करते हुए पारा शिक्षकों को सहायक शिक्षक के रूप में पदस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है।
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