झारखंड : पारा टीचर का छलका दर्द- काम कराती है, मगर मानदेय देने का नहीं

News Aroma Media

न्यूज़ अरोमा रांची: झारखंड के तीन हजार पारा शिक्षक ऐसे हैं, जिनसे सरकार द्वारा कार्य तो लिया जाता है, लेकिन उनके मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

लगभग 25 माह से हमें प्रताड़ित किया जा रहा है। आये दिन शिक्षकों द्वारा आत्महत्या करने की भी घटनाएं हो रही हैं। हम अपना मानसिक संतुलन खोते जा रहे हैं। यह कहना है पलामू के पारा शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह का।

न्यूज अरोमा से अपनी पीड़ा साझा करते हुए पारा शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा, “हम सभी मौजूदा राज्य सरकार के लगभग सभी मंत्री से मिले।

सभी ने आश्वस्त किया कि हमारी मांग जायज है। समय-समय पर राज्य परियोजना द्वारा तरह-तरह के दस्तावेज मांगे जाते हैं, लेकिन भुगतान नहीं किया जाता है।”

जितेंद्र ने कहा, “हम सभी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन 50 प्रतिशत, 45 प्रतिशत की बाध्यता लगाकर सर्टिफिकेट रोक दिया गया है।

फिर भी उन्हें नियमित भुगतान किया जा रहा

2012-14 सत्र में ऐसी अनिवार्यता नहीं थी। 2017-19 सत्र में अनिवार्य किया गया। सरकारी शिक्षकों में भी कुछ के 45 प्रतिशत, 50 प्रतिशत मार्क्स अभी भी नहीं हैं, फिर भी उन्हें नियमित भुगतान किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, “2017-19 सत्र प्रशिक्षण का अंतिम सत्र था, ऊपर से इंटर में 45 प्रतिशत, 50 प्रतिशत की अनिवार्यता।

उस चुनौती को भी बहुतों ने पूरा किया, पर एक डेडलाइन दी गयी थी, उसके बाद उसी की वजह से सर्टिफिकेशन रोक दिया गया।”

एक मजे की बात यह है कि…

जितेंद्र कहते हैं, “एक मजे की बात यह है कि जो लोग प्रशिक्षण में फेल थे, उन्हें 20 जनवरी 2020 तक समय दिया गया।

उनकी परीक्षा आयोजित कर उन्हें नियमित की भांति भुगतान किया जा रहा है।

इस अवधि विस्तार से पूर्व कुछ साथियों ने 31 मार्च 2020 तक इम्प्रूवमेंट कम्प्लीट किया और सभी पारा शिक्षक कार्यरत भी हैं, इसके बावजूद उन्हें उनके मानदेय का भुगतान सरकार नहीं कर रही है।”