Jharkhand Politics: राज्यपाल CP राधाकृष्णन ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की गिरफ्तारी और इस्तीफे पर गुरुवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि Hemant Soren को ED हिरासत में ले चुकी थी।
उसके बाद स्तीफा देने राजभवन आये थे। राज्यपाल के बयान पर जवाब देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को हरमू स्थित पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि Media के माध्यम से पता चला कि राज्यपाल प्रिंट मीडिया को बुलाये हैं और एक मीडिया से स्पष्टीकरण भी मांगे हैं।
अखबारों में पढ़ा कि उन्होंने कई सारी बातें कहीं। हिंदी में एक कहावत है “दाढ़ी में तिनके वाली” ED ने जब उनसे कहा कि हिरासत में ले लिये हैं उसके बाद सभी लोग राजभवन पहुंचे।
इस्तीफा हुआ तो दूसरे दिन रात का इंतजार क्यों?
दो बसों को अंदर जाने का परमिशन दिया गया और फिर अंदर जाने के बाद परमिशन नहीं होने की बात कही गई और उन्हें बाहर निकाल दिया गया। वर्तमान CM ने सरकार बनने का दावा किया और दावे को अस्वीकार करते हुए अपने कक्ष की ओर चले गये फिर 15 मिनट बाद आ कर दावे को उन्होंने स्वीकार किया।
राज्यपाल के प्रधान सचिव से दूसरे दिन फोन पर बात की गई, जिसके बाद सूचित करने की बात कही गई। फिर दोबारा राजभवन से समय की मांग की गई और तब जाकर गठबंधन के पांच नेताओं को मिलने की अनुमति दी गई।
मिलने के बाद 10 बजे रात में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनने की बात कही गई। जब 8:30 बजे रात में इस्तीफा हुआ तो दूसरे दिन रात का इंतजार क्यों हुआ। एक दिन से अधिक समय तक राज्य का कार्यपालक कौन था।
क्या राज्यपाल को बहुमत की आशंका थी?
मंत्रिमंडल विस्तार के समय फ्लोर टेस्ट की बात कही गई। क्या राज्यपाल (Governor) को बहुमत की आशंका थी। 49 सदस्य हमारे साथ थे। 81 सदस्यीय विधानसभा सभा में 49 विधायकों के समर्थन के बाद भी राय लेनी पड़ी।
बिहार की परिस्थिति अलग है। क्योंकि वह ED की गिरफ्त में नहीं है, जो अपका संदेश नहीं मानेगा। वह ED की गिरफ्त में रहेंगे। बिहार में सबसे बड़े दल की जगह तीसरे नंबर के दल को बुला लिया गया। लेकिन यहां बहुतमत वाले दल को नहीं बुलाया गया।
राज्यपाल यह बताये कि वह कौन दो विधायक थे, जो मीडिया में बयान दे रहे थे कि हैदराबाद नहीं जा रहे हैं। BJP का काम राज्यपाल क्यों कर रहे हैं। भ्रम की स्थिति पैदा करने वाले BJP वाले हैं।
राज्यपाल का काम सरकार को सलाह देने का है। वक्त-वक्त की जानकारी लेनी है। पुरानी सरकार के कई विधेयक राजभवन में पड़े हुए हैं। उसे पारित करिए और राज्य के विकास में सहयोग करें।
हम लोग असंवैधानिक काम करनेवाले लोग नहीं हैं और जांच से बचाने के लिए ही एक व्यक्ति को राज्यपाल बनाया गया। सरकार का काम है Raj Bhavan की सुरक्षा करना।