रांची: झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने हेमंत सरकार की नियोजन नीति को स्वागत योग्य बताया है।
त्रिपाठी ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में कहा कि हेमंत सरकार ने तृतीय और चौथी श्रेणी की नियुक्ति में स्थानीय विद्यार्थियों को प्राथमिकता देने की बात कही है।
इस नीति से राज्य की 30 से 40 प्रतिशत आबादी को अपने ही राज्य में रोजगार नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य के 16 ऐसे जिले हैं जहां नई नियोजन नीति में चयनित 12 भाषाओं की जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसे जिलों के अभ्यार्थियों की चार प्रमुख भाषाएं भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली के जानकार हैं लेकिन यह दुर्भाग्य है कि हेमंत सरकार की नई नियोजन नीति में इन चारों भाषाओं को नहीं जोड़ा गया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि झारखंड के बच्चों को अपने राज्य में ही नौकरी मिले।
इसके लिए सरकार की नई नियोजन नीति में संशोधित करने की जरूरत है और इन नीति में इन चार भाषाओं को जोड़ने की जरूरत है।
उन्होंने इस नीति को यूपीए के लिए हानिकारक बताया है। उन्होंने कहा कि झारखंड के आला अधिकारी मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं। राज्य के स