Paddy Cultivation: धान की खेती में बढ़ती लागत और श्रम की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University), रांची ने राहत की नई राह दिखाई है।
विश्वविद्यालय के कृषि अभियंत्रण विभाग ने एक सस्ती और उपयोगी धान रोपाई मशीन ‘पैडी ट्रांसप्लांटर’ (‘Paddy Transplanter’ Machine) का निर्माण किया है, जो बैटरी से संचालित होती है। इस मशीन का पेटेंट हो चुका है और जल्द ही इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जाएगा।
मशीन की विशेषताएं
डॉ. उत्तम कुमार के नेतृत्व में चार वर्षों की मेहनत से तैयार इस ‘पैडी ट्रांसप्लांटर’ की निर्माण लागत मात्र 15,000 रुपये है। मशीन में 12 वोल्ट की दो ड्राई बैटरियां लगी हैं, जो चार घंटे तक काम करने में सक्षम हैं। 37 किलोग्राम वजन वाली यह मशीन एक दिन में 50 डिसमिल खेत में धान की रोपाई कर सकती है।
Dr. Kumar के अनुसार, परंपरागत तरीकों से मजदूरों द्वारा धान की रोपाई में प्रति हेक्टेयर लगभग 7,500 रुपये का खर्च आता है। वहीं, इस मशीन से रोपाई का खर्च घटकर सिर्फ 1,500 रुपये प्रति हेक्टेयर रह जाता है।
मौजूदा मैनुअल और ऑटोमेटिक मशीनों से अलग, यह मशीन किसानों द्वारा उगाए गए पौधों को सीधे खेत में रोपने में सक्षम है। प्लास्टिक मैट (Plastic Mat) का उपयोग न होने के कारण पौधे पूरी तरह से विकसित हो पाते हैं। यह मशीन सस्ती, टिकाऊ और किसानों के लिए अत्यधिक उपयोगी साबित हो सकती है।
भविष्य की योजना
BAU की विशेष कमेटी जल्द ही इस मशीन की कीमत तय करेगी। इसके बाद बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए किसी पेशेवर निर्माता के साथ समझौता किया जाएगा। यह मशीन किसानों का श्रम और समय बचाने के साथ-साथ कृषि की बढ़ती लागत को कम करने में मदद करेगी।
यह तकनीक न केवल किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी, बल्कि खेती को अधिक कुशल और लाभकारी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।